Haryana : केंद्रीय मंंत्री राव इंद्रजीत के वर्चस्य के सामने दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी हुए बोने ?

RAO INDERJIT SINGH

Haryana:  25 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव है। एक बार फिर मोदी ने राव इद्रजीत पर गुरूग्राम लोकसभा से दाव खेला है। दूसरी पार्टियों में अब तक प्रत्याशी टिकट के लिए लड रहे है। साफ जाहिर कि राव इंंद्रजीत के सामने कोई प्रत्याशी टिकने वाला नहीं है। यानि राव को टक्कर देने वाला कोई नहीं है।

 

 

अपना चुके है तेवर Union Minister Rao Inderjit Singh

विधानसभा की हार से राव ने बहुत कुछ सीखा हैं अपने के लोगो से मिले हुए घावो को पांच साल किस मरहम से भरना है येे अच्छी तरह से सीख लिया है। आने वाले समय वे जयचंदो को तसल्ली से जबाब देने की तैयारी मे है।

 

कम शब्दो में भाप रहे जयचंदो की भाषा: राव साहब लोकसभा  (Political news) के चुनावो की तैयारी के लिए प्रचार मे जुटे हुए है। वे विधानसभा में जयचंदो की पिछली बार मिल घाव व उनके तानों से अच्छी तरह सबक ले चुके है। यही कारण कि  बार बार ताने माने पर राव की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की जा रही है।

 

तुम पंख फैलाकर उड़ान भरना सीख लो

राव हर बार रैली के बहाने पिता राव बिरेंद्र सिंह का पांच दशक पूर्व आजमाया हुआ राजनीतिक फार्मूला आजमा रहे हैं। जिस तरह राव बिरेंद्र सिंह ने तब सिरसा, रोहतक व हिसार के कुछ गैर यादव नेताओं के सहारे अहीरवाल से बाहर राजनीतिक शक्ति हासिल की थी, राव इंद्रजीत उसी राह पर हैं।

हमारा दायरा अहीरवाल नहीं है। कुएं के मेंढक बनने की जरूरत नहीं है। तुम पंख फैलाकर उड़ान भरना सीख लो..। अपने खास समर्थकों को केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह पिछले कुछ वषों से बार-बार यही नसीहत देते रहे हैं। सुनहरे राजनीतिक भविष्य के लिए राव पांच दशक पीछे झांक रहे हैं। मकसद साफ है। खुद की शक्ति बढ़ेगी तो सत्ता में भी भागीदारी बढ़ेगी।

rao inderjit 11zon

क्या गढ़ में फंसेंगे इंद्रजीत?

गुरुग्राम से राजबब्बर के लड़ने की तैयारियों के सवाल खड़ा हो रहा है कि दक्षिण हरियाणा और खासकर अहीरवाल की राजनीति पर अब तक पकड़ रखने वाले राव इंद्रजीत क्या चुनावी दंगल में फंस जाएंगे। कांग्रेस पार्टी इस राव इंद्रजीत सिंह को उनके गढ़ में घेरना चाहती है।

 

 

इसीलिए पार्टी ने पंजाबी कार्ड खेलने की योजना बनाई है। अभी तक राज्य की कमान मनोहर लाल के पास थी जो खुद पंजाबी थे। पार्टी ने उनके हटने के बाद गुरुग्राम में पंजाबी मतदाताओं की भारी संख्या को देखते हुए बब्बर को लड़ाने की रणनीति बनाई है।

क्या है गुरुग्राम का गणित?

 

पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के नेता कैप्टन अजय यादव को प्रचंड मोदी लहर और अपनी लोकप्रियता के बूते पर 3.86 लाख वोटों के अंतर से हराया था। कांग्रेस को 4,95,290 और राव इंद्रजीत सिंह को 881,546 वोट मिले थे। कांग्रेस पार्टी इस बार मजबूत चुनौती देना चाहती है।

 

गुरुग्राम लोकसभा में गुरुग्राम के साथ पड़ोसी मेवात (नूंह) और रेवाड़ी का क्षेत्र लगता है। कुल नौ विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। एक सीट निर्दलीय और बाकी की चार सीटों कांग्रेस के पास हैं। राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम से जीत की हैट्रिक लगाते हुए पांच बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं।

 

आसान नही राव को हराना: लबं अंतराल से जीत दर्ज करवाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत को गुरूग्राम सीट से हराना आसान नही है। एक ओर मोदी की जनता पर विश्वास वहीं पुराने दिग्गज होने के चलते अहीरवाल पर अच्छी पकड के चलते राव को हराना आसान नही है। इस राव को घरने के लिए जजपा व कांग्रेस फिल्मी हस्तियोंं के बलबूते से चाल रच रही है। लेकिन राव को हराना इतना आसान नहीं है।