रोहिणी कोर्ट में दिनदहाडे गैंगवार: सुरक्षा इंतजाम की खुली पोल, पुलिस कमीशनर से वकील करेंगे शिकायत

नई दिल्‍ली: रोहिणी जिला कोर्ट में शुक्रवार को दिनदहाडे हुए गैंगवार की घटना ने होश उड़ा दिए हैं। सरेआम हुई गोलीबारी ने अदालत परिसरों में सिक्योरिटी की भी पोल खोल दी है। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने इस घटना को लेकर सख्‍त नाराजगी जताई है। उसने इसे दुर्भाग्‍यपूर्ण बताया है। काउंसिल ने इसके पीछे पुलिस अधिकारियों की लापरवाही को कारण बताया है।

दिल्‍ली की रोहिणी कोर्ट में शुक्रवार को ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। दो गुटों की गैंगवार में दिल्‍ली के कुख्‍यात अपराधियों में शामिल जितेंद्र मान उर्फ गोगी की टिल्‍लू गैंग के बदमाशों ने हत्‍या कर दी। ये बदमाश कोर्ट में वकील के वेश में पहुंचे थे।

: इस घटना के बाद अदाततों के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं। रोहिणी कोर्ट में हुई फायरिंग पर बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष राकेश सहरावत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली इस घटना की निंदा करता है। कोर्ट में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। दिल्ली CP से बार-बार इसके बारे में कहा जा चुका है। यह और बात है कि कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

मिलेंगें पुलिस कमीशर से‘ राकेश सहरावत ने शनिवार को दिल्‍ली पुलिस कमिश्‍नर से मिलने की बात कही है। उन्‍होंने कहा, ‘मैं बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के सदस्यों के साथ कल दिल्ली पुलिस कमिश्नर से मिलूंगा। हम उनसे कहेंगे कि दिल्ली पुलिस कोई ठोस कदम उठाए, जिसके कारण ऐसी घटना भविष्य में फिर न हो। जिन पुलिस अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिली है उनके खि‍लाफ सख्‍त कार्रवाई की जाए।’

अदालत में सुरक्षा व्यवस्था की खुली पोल:
सुरक्षा व्‍यवस्‍था को लेकर बदइंतजामी सिर्फ रोहिणी कोर्ट तक सीमित नहीं हैं। देशभर में तमाम निचली अदालतों का यही हाल है। रोहिणी कोर्ट में गैंगवार के बाद साकेत कोर्ट बार असोसिएशन के वकील व पूर्व सेक्रेटरी धीर सिंह कसाना ने वहां के हाल दिखाते हुए एक वीडियो क्लिप ट्वीट किया। कसाना ने कहा कि निचली अदालतों में सुरक्षा के नाम पर ढोंग है। इन अदालतों में कुख्‍यात अपराधियों की पेशी होती है। हालांकि, सुरक्षा व्‍यवस्‍था जीरो है। उन्‍होंने साकेत कोर्ट के गेट नंबर दो का हाल दिखाया जहां लोग बिना रोकटोक आ-जा रहे थे। उन्‍होंने दावा किया कि पुलिस वाले अंदर कमरे में बैठे रहते हैं। कहीं किसी की जांच नहीं होती है। यह अदालतों के सामने गंभीर खतरा पैदा करता है। उन्‍होंने कहा कि ज्‍यादातर डिस्ट्रिक्‍ट कोर्टों में यही हाल है।