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अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर NAAC–AIU की सख्ती के बाद हरियाणा सरकार भी उठाने जा रही ये बडा कदम

On: November 18, 2025 10:53 AM
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फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में है। दिल्ली धमाके मामले के बाद जहां जांच एजेंसियों की सख्ती बढ़ी है, वहीं यूनिवर्सिटी के प्रबंधन और मान्यता को लेकर कई संस्थाएं भी सक्रिय हो गई हैं। ब्लास्ट से जुडे कई अहम सुराग के बाद डा व उनकी पत्नी व बेटी को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब सवाल यह है कि क्या हरियाणा सरकार इस अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करेगी या नहीं । जानिए आगे क्या होगा।

अल-फलाह ट्रस्ट द्वारा संचालित यह यूनिवर्सिटी 2014 में हरियाणा विधानसभा में पारित बिल के जरिए स्थापित हुई थी, जबकि 2015 में यूजीसी ने इसे मान्यता प्रदान की।

जानिए कब मिली थी मान्यता: बता दे कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी एवं मेडिकल कॉलेज 2019 में मान्यता प्राप्त कर चुका है। इससे पहले यही ट्रस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज चलाता था और वर्तमान में इसके अधीन आधा दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं।

यूनिवर्सिटी के खिलाफ अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापन परिषद (NAAC) की ओर से नोटिस के रूप में सामने आई है। NAAC ने संस्था पर फर्जी प्रमाणन का गंभीर आरोप लगाते हुए सात दिन के भीतर जवाब मांगा है, साथ ही चेतावनी दी है कि यदि संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला तो यूजीसी और सरकार को मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है।

किसके पास रद्द करने का अधिकार: बतर दे कि यूनिवसीटी को लेकर NAAC के पास स्वयं मान्यता रद्द करने का अधिकार नहीं है। दूसरी ओर, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता वापस ले ली है, जिसके बाद यूनिवर्सिटी को AIU का लोगो इस्तेमाल करने से भी रोक दिया गया है। इस निर्णय ने संस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रभाव डाला है।

हरियाण सरकार पर टिकी निगाहें: बतर दे कि हरियाणा सरकार ने फिलहाल कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं की है, लेकिन उपलब्ध जानकारी के अनुसार सरकार जल्द ही बैठक बुलाने वाली है, जिसमें यूनिवर्सिटी को आवंटित 70 एकड़ भूमि और अन्य संबंधित मामलों पर चर्चा हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की स्थापना विधानसभा में बिल पारित कर की गई थी, ऐसे में इसकी मान्यता रद्द करने के लिए भी सरकार को विधानसभा में नया बिल लाना होगा।

इसी बीच यूजीसी के पास भी यह अधिकार है कि वह अपनी सिफारिश पर मान्यता समाप्त कर दे या फिर यूनिवर्सिटी का पूरा सत्र स्थगित कर दे। इस पूरे मामले पर अगला कदम सरकार और यूजीसी के निर्णय पर निर्भर करेगा।

Sunil Chauhan

मै पिछले दस साल से पत्रकारिता में कार्यरत हूं। जल्दी से जल्दी देश की की ताजा खबरे को आम जनता तक पहुंचाने के साथ समस्याओं को उजाकर करना है।

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