चीन: वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूरज परमाणु संलयन रिएक्टर को सफलतापूर्वक कर दुनिया में दूसरे सूरज के दावे को सच कर दिखाया है। ये ऐसा परमाणु फ्यूजन है, जो असली सूरज से कई गुना ज्यादा ऊर्जा देगा। चीन की सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। चीन का यह एचएल-2 एम प्रोजेक्ट, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) में उसकी भागीदारी के लिए अहम तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा। आईटीईआर दुनिया का सबसे महात्वाकांक्षी ऊर्जा प्रोजेक्ट है। दुनियाभर के 35 देश इस प्रोजेक्ट में शामिल है। इनमें चीन और भारत का नाम भी है। ऐसे में चीन का यह प्रोजेक्ट आईटीईआर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।
भारत इस परियोजना में 10 प्रतिशत का साझेदार है।
चीन की कृत्रिम सूरज बनाने की ये कोशिश कई साल से जारी थी। कृत्रिम सूरज के प्रोजेक्ट की कामयाबी ने चीन को विज्ञान की दुनिया में उस मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां आज तक अमेरिका, जापान जैसे तकनीकी रूप से उन्नत देश भी नहीं पहुंच पाए।
न्यूक्लियर रिसर्च का कमाल
चीन की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। चीन ने कृत्रिम सूरज को एचएल-2एम (HL-2M) नाम दिया है, इसे चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन के साथ साउथवेस्टर्न इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य ये भी था कि प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाया जा सके। कृत्रिम सूरज का प्रकाश असली सूरज की तरह तेज होगा। परमाणु फ्यूजन की मदद से तैयार इस सूरज का नियंत्रण भी इसी व्यवस्था के जरिए होगा।
150 मिलियन तक रहेगा तापमान
चीनी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कृत्रिम सूरज की कार्यप्रणाली में एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। इस दौरान यह 150 मिलियन यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान हासिल कर सकता है। पीपुल्स डेली के मुताबिक, यह असली सूरज की तुलना में दस गुना अधिक गर्म है।
असली सूरज का तापमान करीब 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है। धरती पर मौजूद न्यूक्लियर रियेक्टर्स की बात करें, तो यहां ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विखंडन प्रकिया का इस्तेमाल होता है। यह तब होता है, जब गर्मी परमाणुओं को विभाजित करके उत्पन्न होती है। परमाणु संलयन वास्तव में सूरज पर होता है और इसी के आधार पर चीन का एचएल-2एम बनाया गया है।
सिचुआन में किया गया है इसका निर्माण
चीन सिचुआन प्रांत में स्थित इस रिएक्टर को अक्सर ‘कृत्रिम सूरज’ कहा जाता है।यह असली सूरज की तरह प्रचंड गर्मी और बिजली पैदा कर सकता है। चीनी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी का विकास चीन की सामरिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ ही चीन के एनर्जी और इकॉनमी के सतत विकास में सहायक सिद्ध होगा।
इतनी लागत में बन गया नकली सूरज
संलयन प्राप्त करना बेहद कठिन है और इस प्रोजेक्ट यानी आईटीईआर की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है। दुनिया के कई देश सूरज बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गर्म प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूजन तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी मुश्किल आ रही थी।