Polluted City: उत्तर भारत के अधिकांश बड़े और छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ और ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच गया है। इस बार दिल्ली 13वें स्थान पर खिसक गई है, जबकि छोटे शहर जैसे श्रीगंगानगर (राजस्थान), सिवानी (हरियाणा) और अबोहर (पंजाब) जैसे शहरों ने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया है। यह साफ संकेत है कि अब प्रदूषण केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरा उत्तर भारत इसकी चपेट में आ चुका है। खेतों में पराली जलाने, वाहनों के धुएं और निर्माण कार्यों की वजह से हवा में जहरीले कणों की मात्रा तेजी से बढ़ी है।
श्रीगंगानगर, सिवानी और अबोहर में सांस लेना हुआ मुश्किल
राजस्थान के श्रीगंगानगर का AQI 830 दर्ज किया गया, जो अत्यंत खतरनाक स्तर पर है। यहां खेतों में पराली जलाने से उठे धुएं, रेगिस्तानी धूल और कम हवा की गति के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया। इसी तरह हरियाणा के सिवानी में AQI 644 पहुंच गया। यहां भी पराली जलाने, वाहनों के धुएं और फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण ने स्थिति को और खराब कर दिया। सर्दियों की शुरुआत में हवा का ठहराव होने से प्रदूषण फैल नहीं पा रहा, जिसके चलते धुआं और धूल वातावरण में ही फंसी रह जाती है।
हरियाणा और पंजाब के शहरों में भी दमघोंटू हवा का असर
पंजाब के अबोहर में AQI 634 दर्ज किया गया, जहां पराली का धुआं, कच्ची सड़कों की धूल और फैक्ट्रियों का प्रदूषण लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दृश्यता घट गई है और सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। हरियाणा के चरखी दादरी में AQI 448 और हिसार में 477 तक पहुंच गया। हिसार में वाहनों का धुआं, निर्माण कार्यों की धूल और आसपास के खेतों में जलाई जा रही पराली ने वायु गुणवत्ता को बेहद खराब कर दिया है। बरसात और तेज हवाओं की कमी के कारण यह प्रदूषण वातावरण में ही अटका हुआ है।
राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी हालात बिगड़े, लोगों को सांस लेने में दिक्कत
राजस्थान के चुरू में AQI 456 दर्ज किया गया, जहां रेगिस्तानी धूल, वाहनों का धुआं और पराली जलाने से हवा दमघोंटू बन गई है। उत्तर प्रदेश के नांगली बहरमपुर में AQI 438 और हरियाणा के भिवानी में 437 तक पहुंच गया। वहीं, ससरौली (हरियाणा) में AQI 433 दर्ज हुआ, जो खेतों और फैक्ट्रियों के बीच बसे इस कस्बे के लिए गंभीर चेतावनी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह और शाम के समय आंखों में जलन और गले में खराश की समस्या बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द तेज हवाएं या बारिश नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा धुएं के गुबार में घिर सकता है।

















