Cyber Crime : साइबर ठगी होने पर डायल करें 1930, पैसा आएगा वापिस

Cyber Crime Report Online:  अगर आपके साथ साइबर ठगी (cyber crime)हुई,  तो अब इसकी तुरंत शिकायत हेल्पलाइन (helpline)नंबर पर कर सकते है। । यह हेल्पलाइन नंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है। इस नंबर को डायल कर पीड़ित अपने साथ हुए फ्राड की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आपके द्वारा वित्तीय लेन-देन का ब्यौरा दिए जाने के फौरन बाद, एक तंत्र शुरू हो जाएगा और जहां कहीं भी धन की निकासी की गई है, वहां पुलिस फौरन कार्रवाई करेगी।
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पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग की मदद से यह नई हेल्पलाइन जारी की है, जो चरणबद्ध तरीके से 155260 की जगह लेगी। हेल्पलाइन नंबर-1930 पर आनलाइन उत्पीड़न या साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
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ऐसे दर्ज करा सकते हैं शिकायत:

पुलिस अधीक्षक ने पूरी प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि डिजिटल अलर्ट बजने के बाद एक टोकन जनरेट होगा और पीड़ित द्वारा सूचना दिए जाने के बाद पुलिस फौरन लाभार्थी बैंक, वालेट या व्यापारी को धोखाधड़ी की सूचना देती है। रुके हुए फ्लो को फिर वापस प्लेटफार्म पर रिपोर्ट किया जाएगा। यदि धन किसी अन्य वित्तीय मध्यस्थ को स्थानांतरित कर दिया गया है तो प्रक्रिया तब तक दोहराई जाएगी, जब तक राशि रोक नहीं दी जाती है।
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जानिए कैसे होगी कार्रवाई

इसके बाद पीड़ित को एसएमएस के जरिए लागिन आइडी, रिफरेंस नंबर मिलेगा, जिसका इस्तेमाल 24 घंटे के भीतर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट साइबर क्राइम डाट जीओवी डाट इन पर शिकायत दर्ज करानी होगी। इस सुविधा के इस्तेमाल से वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के शिकार लोगों की धनराशि वापस कराने में मदद मिलेगी।

रिपोर्टिंग और प्रारंभिक कार्रवाई – सबसे पहले साइबर वित्तीय अपराध होने की स्थिति में शिकायतकर्ता को हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल करनी होगी। यह फोन काल नियुक्त किये गये एक पुलिस अधिकारी द्वारा रिसीव की जाएगी और वह अधिकारी शिकायतकर्ता से लेनदेन से संबंधित कुछ जरूरी विवरण मांगेगा। इसके बाद एक टोकन नंबर जनरेट होगा और अपराधी के बैंक खाते, पेमेंट वालेट या मरचेंट का पता लगाने व निकाली गई राशि को रोकने के लिए एक डिजिटल अलर्ट भेजा जाएगा।

2. ट्रेल और फ्रीज -जैसे ही डिजिटल अलर्ट बजता है, सिस्टम द्वारा धोखाधडी वाले धन के प्रवाह को रोक या फ्रीज कर दिया जाता है और प्लेटफार्म पर वापस रिपोर्ट की जाती है। यदि पैसा किसी अन्य वित्तीय मध्यस्थ को स्थानांतरित कर दिया गया है तो भी उस पैसे को फ्रीज करने के लिए एक अलर्ट भेजा जाता है। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती रहती है जब तक कि राशि को या तो अस्थायी रोक पर रखा जाता है, वापस लिया जाता है या आनलाइन खर्च किया जाता है।

3. औपचारिक शिकायत – शिकायतकर्ता को इस शिकायत की सूचना एक एसएमएस/मेल के माध्यम से प्राप्त होती है। जिसमें लाग इन आइडी/शिकायत का संदर्भ नंबर होता है और एक लिक प्राप्त होता है। दिए गए लिक/ लाग इन आइडी/शिकायत संदर्भ नंबर का प्रयोग करते हुए हेल्पलाइन नंबर पर काल करने के 24 घंटे के अंदर शिकायतकर्ता को राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर औपचारिक व विस्तृत विवरण (मोबाइल नम्बर, बैंक/वालेट/मरचेंट का नाम व नंबर, जिसमें से अमाउंट गई है, ट्रांजेक्शन आइडी व तारीख, अगर धोखाधडी किसी कार्ड के माध्यम से हुई हो तो उस डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर और इस धोखाधड़ी के लेनदेन के संबंध में कोई स्क्रीनशाट अगर उपलब्ध हैं) सहित एक शिकायत दर्ज करानी अति आवश्यक है।

4. अपना पैसा वापस पाएं – उपरोक्त शिकायत दर्ज करने के बाद खाते से निकाले गए रुपयों को वापस लाने व उस पैसे को पीड़ित के खाते में वापस करवाने के लिए पुलिस की कार्रवाई शुरू हो जाती है। यदि हेल्पलाइन नंबर पर काल करने के 24 घंटे के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा कोई शिकायत नहीं की जाती है तो लाभार्थी के निर्देशों के अनुसार संबंधित वित्तीय मध्यस्थों द्वारा रुका हुआ पैसा जारी कर दिया जाता है।

आमजन से अपील है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति पर बिना जांचे परखे विश्वास ना करें और ना ही अपनी विश्वसनीय जानकारी किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करें। जिला पुलिस द्वारा ऐसे साइबर अपराधियों का पता लगाने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इन अपराधियों का पता लगाकर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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मीडिया लाइन में पिछले 5 साल से लगातार काम कर रहा हूँ। वर्तमान में best24news.com डिजिटल बेवसाइट पॉलिटिक्स, मौसम, अपराध की न्यूज अपडेट करता हूं।

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