Haryana: हरियाणा के राई ब्लॉक के झीझौली गांव के किसानों के लिए बरसात का मौसम किसी अभिशाप से कम नहीं है। करीब दो सौ एकड़ जमीन पर पचास किसानों की धान की फसल हर साल जलभराव के कारण नष्ट हो जाती है। पूरी तरह खेती पर निर्भर ये किसान वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। गांव के खेतों से बारिश के पानी की निकासी के लिए बनी नालियां पिछले 40 वर्षों से बंद पड़ी हैं, क्योंकि कई लोगों ने इन नालों पर अपने घर बना लिए हैं। परिणामस्वरूप खेतों में पानी रुक जाता है और धान, गेहूं जैसी फसलें सड़कर बर्बाद हो जाती हैं।
करीब तीन हजार की आबादी वाले झीझौली गांव के ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन से अपना जीवन यापन करते हैं। चालीस साल पहले तक गांव में जल निकासी की कोई गंभीर समस्या नहीं थी। लेकिन आज स्थिति यह है कि गांव के पूर्वी हिस्से के खेत हर साल जलभराव से प्रभावित होते हैं। कभी-कभी दिसंबर की बारिश में गेहूं की फसल भी पूरी तरह नष्ट हो जाती है, जिससे किसानों को बाजार से अनाज खरीदना पड़ता है। लगातार नुकसान के कारण कई किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। किसान जयकरण बताते हैं — “हमारे खेतों के पानी की निकासी का रास्ता 24-25 घरों ने घेर रखा है। नालों की जमीन का सीमांकन भी हो चुका है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा। हर बरसात के मौसम में हमारी सांसें थम जाती हैं।”
प्रशासन की कार्रवाई अधूरी, ग्रामीणों में नाराजगी
जल निकासी की समस्या को लेकर सिंचाई विभाग ने तीन बार नोटिस जारी किए, जिनमें अवैध कब्जाधारियों को अपने निर्माण हटाने के आदेश दिए गए। कुछ लोगों ने सरकारी आदेश का पालन किया और अपने कब्जे हटाए, लेकिन कई लोग अब भी राजनीतिक संरक्षण के चलते नोटिसों को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। किसान रामचंद्र का कहना है — “हमारे कई परिवार हर साल लाखों रुपये का नुकसान झेल रहे हैं। गांव वालों ने अपनी सुविधा के लिए नाले का रास्ता घेर लिया है। सरकार को हमें इस समस्या से जल्द राहत दिलानी चाहिए।” वहीं कटलुपुर सरपंच नीतू का कहना है कि पंचायत ने समय-समय पर सरकार को प्रस्ताव और रिपोर्ट भेजी हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन अब जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान करेगा। सिंचाई विभाग के एसडीओ मुकेश ने बताया कि “खरखौदा तहसीलदार की रिपोर्ट के बाद कब्जाधारियों को नोटिस भेजे गए हैं। अब नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।”
सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी से परेशान ग्रामीण
झीझौली गांव के लोग न केवल जलभराव बल्कि सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से भी जूझ रहे हैं। गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर बवाना-बरवसनी रोड है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए सिर्फ 11 फीट चौड़ी कच्ची सड़क और 44 फीट सिंचाई विभाग की जमीन का रास्ता है। ग्रामीणों की लंबे समय से मांग है कि यहां पक्की सड़क बनाई जाए, जिससे हलालपुर, जाटौला, फिराजपुर, झीझौली और हरेवाली समेत करीब 30 हजार लोगों को सीधा सोनीपत और दिल्ली से संपर्क मिल सके। गांव में डिस्पेंसरी या मोबाइल क्लिनिक न होने से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हलालपुर (2 किमी दूर) जाना पड़ता है।

















