Haryana News: हरियाणा सरकार ने राइट टू एजुकेशन (आरटीई) की सीटें पोर्टल पर नहीं दिखाने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। पिछले आठ महीनों में सरकार ने ऐसे 2808 प्राइवेट स्कूलों के एमआइएस पोर्टल बंद कर दिए हैं। इससे बच्चों के ऑनलाइन दाखिले प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि प्राइवेट स्कूलों को गरीब बच्चों को दाखिला देना होगा और इसके लिए वे पोर्टल पर आरटीई के तहत खाली सीटें दिखाएं।
प्राइवेट स्कूल संघ का विरोध और सरकार की कार्रवाई
प्राइवेट स्कूल संघ ने शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि ज्यादातर स्कूलों ने सीटें दिखाने के बाद जानकारी के अभाव में फाइनल सबमिट नहीं किया था। साथ ही, शिक्षा विभाग ने स्कूलों को समय पर कोई सूचना नहीं दी और मंथली फीस के आधार पर 30 हजार से एक लाख रुपये तक के जुर्माने के नोटिस भेज दिए।
स्कूल संघ की मांगें और मुख्यमंत्री को पत्र
प्राइवेट स्कूल संघ ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सात सूत्रीय मांगों का पत्र भेजा है, जिसमें बंद पड़े 2808 स्कूलों के एमआइएस पोर्टल खोलने की भी मांग शामिल है। संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि स्कूलों की गलती पर जुर्माना लगाने की बजाय पहले उन्हें मेल या फोन से सूचित किया जाना चाहिए था। उन्होंने आग्रह किया है कि बिना जुर्माना लिए पोर्टल खोल दिया जाए क्योंकि विभाग ने फाइनल सबमिशन न करने की कोई सूचना नहीं दी।
अन्य प्रमुख मुद्दे और सुझाव
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को शिक्षा का अधिकार कानून के तहत मान्यता देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों का करोड़ों रुपये का बकाया है, जिस पर विभाग का ध्यान नहीं है।
सत्यवान कुंडू ने सरकार से फायर सेफ्टी की तरह हाइजीनिक सर्टिफिकेट की वैधता तीन साल करने और स्कूल बसों की आयु सीमा बढ़ाने की भी मांग की। इसके अलावा, स्कूल बस टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स समेत अन्य टैक्सों को खत्म करने और महापुरुषों की जयंती पर छुट्टी करने या कार्यक्रम आयोजित करने का अधिकार स्कूलों को देने की भी अपील की है।

















