Haryana News: हरियाणा के सोनीपत जिले में वायु गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) काफी खराब बनी हुई है। इसके बावजूद किसान अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है। खासतौर पर गोहाना क्षेत्र में कृषि विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। गोहाना और आसपास के गांवों में पराली जलाने के मामले में तीन किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है। साथ ही उन किसानों पर एकड़ के हिसाब से जुर्माना लगाया गया है और उनकी आगामी दो फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
कृषि विभाग के अधिकारी लगातार गांव-गांव जाकर किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। हालांकि सरकार की यह कड़ी कार्रवाई और जागरूकता के बावजूद कुछ किसान पराली जलाने से नहीं रुक रहे हैं। फिर भी, इस साल पराली जलाने के मामले पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम हुए हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है।
गोहाना क्षेत्र के पांच गांवों को येलो जोन में रखा गया है, जहां पराली जलाने की ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं। गोहाना कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एसडीओ राजेंद्र कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र में लगभग 80 प्रतिशत धान की कटाई पूरी हो चुकी है। किसान धान की कटाई के बाद नवंबर माह में गेहूं की बुआई करते हैं। इस बार करीब 50 प्रतिशत गेहूं की बुआई भी हो चुकी है।
राजेंद्र कुमार ने बताया कि सेटेलाइट निगरानी से अब तक 15 स्थानों पर पराली जलाने की सूचना मिली है, लेकिन मौके पर जाकर केवल तीन किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन तीन किसानों को 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और उनकी जानकारी रेड इंट्री पोर्टल पर दर्ज कर दी गई है। साथ ही उनकी आगामी दो फसलों को MSP पर बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सरकार का स्पष्ट आदेश है कि जो भी किसान अपने खेतों में पराली जलाते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें MSP पर अपनी फसल बेचने का अधिकार नहीं मिलेगा। इस कड़ी कार्रवाई और जागरूकता के चलते इस बार किसानों ने पराली प्रबंधन को बेहतर तरीके से अपनाया है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और वायु गुणवत्ता सुधार के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

















