Haryana: हरियाणा ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने इस बार दीपावली के अवसर पर एक नई सोच के साथ काम शुरू किया है। जहां पहले केवल वायु गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता था, वहीं अब बोर्ड ने मिट्टी, पानी और शोर प्रदूषण को भी अध्ययन में शामिल किया है। दीपावली से पहले, दौरान और बाद में राज्य के विभिन्न शहरों से वायु, मिट्टी और पानी के नमूने लिए गए हैं ताकि यह समझा जा सके कि पटाखों का पर्यावरण पर वास्तविक प्रभाव कितना गहरा होता है। बोर्ड की केंद्रीय प्रयोगशाला में इन नमूनों की वैज्ञानिक जांच की जा रही है, जिसमें भारी धातुओं की मात्रा, रासायनिक ऑक्सीजन मांग (COD), जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) और pH स्तर जैसे मानकों का परीक्षण किया जा रहा है।
एचएसपीसीबी के वायु प्रकोष्ठ प्रमुख निर्मल कश्यप के अनुसार, आतिशबाजी के कारण केवल हवा ही नहीं बल्कि मिट्टी और भूजल भी प्रदूषित होते हैं। आतिशबाजी में मौजूद बेरियम, स्ट्रोंशियम, लेड और कापर जैसी भारी धातुएं हवा के जरिए जमीन पर गिरती हैं और धीरे-धीरे भूजल में समा जाती हैं। इससे पीने के पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है और फसलों की उत्पादकता भी घटती है। इस बार जिन इलाकों में आतिशबाजी अधिक होती है, वहां विशेष सैंपलिंग की गई है ताकि यह पता चल सके कि रासायनिक तत्व कितनी गहराई तक मिट्टी और पानी में पहुंचते हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता धमेंद्र बसवाल ने कहा कि यह पहल ऐतिहासिक है, क्योंकि अब तक हम केवल अनुमान लगाते थे कि पटाखों से कितना नुकसान होता है, लेकिन अब हमारे पास वैज्ञानिक प्रमाण होंगे जो भविष्य की नीतियों का आधार बनेंगे।
ग्रीन क्रैकर्स नीति का पालन और निरीक्षण अभियान
सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली के दौरान केवल ग्रीन क्रैकर्स की अनुमति दी थी, जिनसे प्रदूषण लगभग 30 प्रतिशत तक कम होता है। लेकिन कई जगहों पर पारंपरिक पटाखों का उपयोग भी देखा गया। इसे ध्यान में रखते हुए एचएसपीसीबी ने जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर निरीक्षण अभियान चलाया। हर टीम में पर्यावरण वैज्ञानिक, तकनीशियन और प्रयोगशाला विशेषज्ञ शामिल थे। यह टीमें यह भी देख रही हैं कि ग्रीन क्रैकर्स नीति का पालन किस हद तक हुआ और कहां उल्लंघन किया गया। इससे मिलने वाले डेटा को न केवल भविष्य की नीतियों के लिए उपयोग किया जाएगा, बल्कि इसे सार्वजनिक भी किया जाएगा ताकि विद्यार्थी, शोधकर्ता और आम नागरिक इसका लाभ उठा सकें।
ग्रीन पॉलिसी 2030 की दिशा में ठोस पहल
एचएसपीसीबी की यह पहल ग्रीन पॉलिसी 2030 की दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम है। इस परियोजना के जरिये राज्य में पर्यावरणीय निगरानी को और अधिक व्यापक और वैज्ञानिक बनाने की कोशिश की जा रही है। यदि यह अध्ययन सफल रहता है, तो इसे हर वर्ष नियमित अभ्यास के रूप में अपनाया जाएगा ताकि हरियाणा में प्रदूषण स्तरों की वार्षिक तुलना की जा सके। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह अध्ययन आने वाले वर्षों में नीतिगत निर्णयों, न्यायिक मामलों और जनजागरूकता अभियानों के लिए ठोस आधार तैयार करेगा। हरियाणा सरकार का यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि उत्सव के साथ प्रकृति की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है, क्योंकि परंपरा और पर्यावरण का संतुलन ही स्थायी विकास का असली आधार है।
















