Haryana: हरियाणा सरकार के वित्त विभाग ने भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय (BPSMV) के लिए ₹35 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। यह राशि विश्वविद्यालय की वित्तीय कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए बिना ब्याज के ऋण (गैर-वापसी योग्य अनुदान) के रूप में स्वीकृत की गई है। यह मंजूरी वर्तमान वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए दी गई है। इस निर्णय से विश्वविद्यालय के कर्मचारियों में राहत की लहर दौड़ गई है, क्योंकि अब उन्हें चार महीनों से लंबित वेतन मिलने की उम्मीद जगी है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में रुके हुए विकास कार्यों को भी पूरा किया जा सकेगा।
असंतोष के साथ जारी हुआ आदेश
वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के उप अधीक्षक की ओर से इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है। पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यह राशि “कड़े असंतोष” के साथ जारी की जा रही है। विभाग ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यथार्थवादी और अनुमोदित बजट अनुमान तैयार करने में असफल रहा है। इसके अलावा, सरकार द्वारा बार-बार मांगी गई वित्तीय और प्रशासनिक जानकारी भी समय पर उपलब्ध नहीं कराई गई। यह लगातार लापरवाही विश्वविद्यालय की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली की कमजोरियों, जवाबदेही की कमी और सरकारी निर्देशों की अवहेलना को दर्शाती है। विभाग ने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय की वित्तीय और बजट संबंधी लापरवाही पर औपचारिक असंतोष नोटिस जारी किया जाएगा।
खर्चों की होगी सख्त निगरानी
वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब विश्वविद्यालय के सभी खर्चों की सख्त और निरंतर निगरानी की जाएगी। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशालय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन को वित्तीय अनुशासन का पालन करने, समय पर रिपोर्ट भेजने और विभाग के सभी निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। भविष्य में जब भी विश्वविद्यालय कोई वित्तीय प्रस्ताव भेजेगा, तो रजिस्ट्रार और वित्तीय मामलों के प्रभारी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से वित्त विभाग के समक्ष उपस्थित होकर अपनी मांग का औचित्य और पिछली कमियों की व्याख्या देनी होगी। वित्त विभाग ने चेतावनी दी है कि आगे किसी भी प्रकार की देरी, लापरवाही या नियमों से विचलन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
चार महीने से नहीं मिला वेतन, कर्मचारियों ने किया था प्रदर्शन
यह ध्यान देने योग्य है कि विश्वविद्यालय के शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारी पिछले चार महीनों से वेतन से वंचित हैं। इससे कर्मचारियों में भारी असंतोष फैल गया था और उन्होंने विश्वविद्यालय गेट पर प्रदर्शन भी किया था। विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति पिछले कई महीनों से खराब चल रही है, जिसके कारण कई विकास कार्य भी रुक गए थे। अब सरकार द्वारा ₹35 करोड़ की राशि मंजूर किए जाने से कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। उम्मीद है कि जल्द ही लंबित वेतन का भुगतान होगा और विश्वविद्यालय की प्रशासनिक कार्यप्रणाली सामान्य हो सकेगी। वित्त विभाग ने दोहराया है कि भविष्य में यदि ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न हुई, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए राहत लाया है, बल्कि प्रशासन के लिए भी वित्तीय अनुशासन की चेतावनी साबित हुआ है।
















