Delhi Blast update: दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर जांच एजेंसियों का दबाव बढा दिया गया है। इतना ही आतंकी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. निसार उल हसन की पत्नी और MBBS कर रही बेटी कैंपस से ही गिरफ्तार किया है। कार्रवाई के तहत यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निसार उल हसन की डॉक्टर पत्नी और MBBS कर रही बेटी को हाउस अरेस्ट कर लिया गया है। दोनों को कैंपस से बाहर जाने की अनुमति नहीं है और उन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।Delhi Blast update
दिल्ली में 10 नवंबर को लाल किले के सामने हुए बम धमाके के बाद जांच एजेंसियों की नजर अब फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर आ गई है। आतंकी मॉड्यूल से जुड़े कनेक्शन सामने आने के बाद एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में कड़ा पहरा लगा दिया है।Delhi Blast update
जांच का विस्तार बढ़ाते हुए एजेंसियों ने MBBS के 10 अन्य छात्रों की आवाजाही भी सीमित कर दी है। इन सभी के मोबाइल फोन जांच टीम के कब्जे में ले लिए गए हैं। कॉल डिटेल रिकॉर्ड, चैट हिस्ट्री, ईमेल, फोटो और अन्य डिजिटल डेटा की गहराई से जांच की जा रही है, ताकि ब्लास्ट में शामिल मॉड्यूल से जुड़ी कड़ियों का पता लगाया जा सके। यूनिवर्सिटी प्रशासन को भी जांच में सहयोग के निर्देश दिए गए हैं।Delhi Blast update
ब्लास्ट के बाद वह 10 नवंबर से फरार हो गया था। इसके बाद जांच एजेंसियों ने उसकी तलाश तेज की और उसे पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया। एजेंसियों का मानना है कि प्रोफेसर डॉ. नासिर कई महत्वपूर्ण जानकारियों की कड़ी हो सकता है, जिसके आधार पर नेटवर्क का पूरा खुलासा संभव है।Delhi Blast update
मेडिसिन विभाग में कार्यरत प्रोफेसर डॉ. नासिर हसन के संपर्क दिल्ली ब्लास्ट में शामिल आतंकियों से जुड़े पाए गए हैं। वह लाल किले के पास खुद को उड़ाने वाले आतंकी डॉ. उमर नबी, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद के संपर्क में था।Delhi Blast update
अल-फलाह यूनिवर्सिटी बनी: सफेद आतंकियों के गढ़ के रूप में सामने आई धौज गांव में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनिय’ के तहत अस्तित्व में आई थी। यूनिवर्सिटी बनने से पहले वर्ष 1997 में यह संस्थान इंजीनियरिंग काॅलेज के रूप में स्थापित हुआ था।Delhi Blast update
अल फलाह ट्रस्ट द्वारा संचालित करीब 78 एकड़ में फैले संस्थान में 2021 का इंजीनियरिंग काेर्स का अंतिम वर्ष था और उसके बाद इंजीनियरिंग के दाखिले बंद कर दिए गए थे। इसकी वजह इंजीनियरिंग के अपने ही जिले में कई अन्य संस्थान खुल जाने थे। इसमें इंजीनियरिंग की एक हजार के करीब सीटें थी। साथ ही एक छोटी डिस्पेंसरी भी संचालित होती थी।Delhi Blast update

















