Haryana News: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के तहत बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हो रहा है। स्कूलों की ओर से रोजाना का डेटा अपडेट नहीं किया जा रहा है। साथ ही, राशन की कमी की झूठी रिपोर्ट भी भेजी जा रही है, जबकि वास्तविकता में राशन जरूरत से ज्यादा मंगवाया जा रहा है। इस कारण योजना की पारदर्शिता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
शिक्षा निदेशालय ने कड़ी चेतावनी दी
मौलिक शिक्षा निदेशालय ने साफ कर दिया है कि मिड डे मील के डेटा अपडेट में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब सिर्फ मिड डे मील इंचार्ज ही नहीं बल्कि स्कूल के मुखिया भी जिम्मेदार होंगे। अगर रोजाना का डेटा एमआइएस पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। निदेशालय ने जिला स्तर पर इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए निर्देश जारी किए हैं कि अब हर महीने नहीं बल्कि रोजाना डेटा अपडेट करना होगा।
गंभीर लापरवाही पर कड़ा रुख
मौलिक शिक्षा महानिदेशक ने जिला अधिकारियों के साथ कई बार पत्राचार करके डेटा अपडेट करने को कहा, लेकिन स्कूलों की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। खासकर फतेहाबाद, हिसार, नूंह और सोनीपत जैसे जिलों में अक्टूबर माह का डेटा अब तक पोर्टल पर अपडेट नहीं हुआ है। अधूरी रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जाएगी और इससे योजना की पारदर्शिता पर भी बुरा असर पड़ेगा।
योजना की पारदर्शिता खतरे में
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना के तहत मिड डे मील पोर्टल पर मासिक डेटा अपडेट करना अनिवार्य है। हर महीने की 10 तारीख तक डेटा अपडेट होना जरूरी है, इसके बाद पोर्टल बंद हो जाता है। रिपोर्टिंग में हो रही ढिलाई से केंद्र सरकार को सही आंकड़े नहीं मिल पा रहे हैं। इस कारण योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं और बच्चों तक सही पोषण पहुंचाने में दिक्कत हो रही है।
सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना की सफलता के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी बेहद जरूरी है। स्कूलों द्वारा डेटा अपडेट और सही रिपोर्टिंग के बिना यह योजना अपना मकसद पूरा नहीं कर पाएगी। इसलिए अधिकारियों को सख्ती से इस काम को पूरा कराना होगा ताकि बच्चों को बेहतर पोषण मिल सके और योजना का सही लाभ हो।

















