राजेंद्र चावला हत्याकांड : वारदात के आठ दिन बाद भी हत्यारों का सुराग नहीं

पत्नी का आरोप: ईमानदारी से काम नही रास आया भ्रष्ट लोगों को
जयपुर/ हरियाणा: सुनील चौहान। एनएचएआइ के पूर्व परियोजना निदेशक व कंसल्टेंट कंपनी एईकाम में बतौर सलाहकार राजेंद्र चावला की हत्या के आठ दिन भी बदमाशो का सुराग नही लगा है। चावला की पत्नी का आरोप है कि भ्रष्ट लोगो को उनकी ईमानदारी पंसद नहीं आई, इसीलिए उसे रास्ते से हटाने के लिए मौत के घाट उतार दिया। उनका कहना है कि क्या ईमानदारी से काम करना गुनाह है, क्या मूल्यों से समझौता न करना गलत है, क्या गलत को गलत कहना अन्याय है, सहित कई सवाल राजेंद्र चावला की पत्नी शोभा चावला मिलने वालों से कर रही हैं। वह कहती हैं कि ईमानदारी के बदले यदि मौत मिलेगी फिर कौन ईमानदारी से काम करना पसंद करेगा।
गुरग्राम की एक सोसायटी में परिवार सहित रह रहे राजेंद्र चावला की पिछले महीने 26 अगस्त को जयपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। वह एनएचएआइ से संबंधित कंसल्टेंट कंपनी एईकाम में सलाहकार थे। इससे पहले वह एनएचएआइ में कई साल तक परियोजना निदेशक रहे। अन्य दिनों की तरह ही 26 अगस्त को भी वह समय से अपने काम पर निकल गए थे। जयपुर एनएचएआइ कार्यालय में आयोजित बैठक में भाग लेने के लिए दोपहर एक बजे पहुंचे थे। बैठक खत्म होने के बाद जैसे ही बाहर निकले, वैसे ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड ने उनकी पत्नी शोभा चावला को पूरी तरह तोड़ दिया है। वह कहती हैं कि उनके पति न ही किसी के सामने झुके और न ही टूटे। वह कहा करते थे कि अपना काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। काम को आगे टकराने में विश्वास नहीं करते थे। जो सही है, उसके बारे में फैसला लेने में एक पल की देरी नहीं करते थे। न झुकने और न टूटने का हश्र ऐसा हो सकता है, सपने में भी नहीं सोचा था। इस मामले ने इतना तोड़ दिया है कि समझ में नहीं आता है क्या गलत है और क्या सही। जयपुर पुलिस को धन्यवाद शोभा चावला कहती हैं कि जयपुर पुलिस पूरी ईमानदारी से जांच कर रही है। इसके लिए वह धन्यवाद देती हैं। कुछ ही दिनों के भीतर मुख्य आरोपित सहित कई अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों के खिलाफ कानून के हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए। इधर, चावला परिवार के नजदीकी पीडब्ल्यूडी से सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता आरके गर्ग कहते हैं कि हत्याकांड ने सभी को अंदर तक हिला दिया है। ऐसा भी हो सकता है, किसी ने सपने में सोचा नहीं था। क्या किसी विषय पर असहमति का परिणाम हत्या के रूप में सामने आएगा, इस सवाल ने हर किसी को बेचैन कर रखा है। राजेंद्र चावला की पहचान एक सशक्त, कर्मठ व निष्ठावान अधिकारी की रही है।