Budget : शादीशुदा और कुवांरों के लिए टैक्स का अलग-अलग दायरा, जानें आयकर जुड़े कई रोचक तथ्य

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Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानि मंगलवार को वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगी। इस बार सावण के इस बजट में कुछ नया होने जा रहा है। जिससे बारे में हम सोच भी सकते।

बता दे कि करदाताओं को वित्त मंत्री से किसी बड़े राहत की उम्मीद है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के बजट भाषण में करदाताओं के लिए आयकर का दायरा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया था।

शादीशुदा और कुंवारों को भरना पड़ता था अलग-अलग टैक्स
1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई। इसके तहत शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक की आमदनी तक कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी।

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टैक्स छूट देने वाला पहला देश बना भारत
भारत 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट देने वाला दुनिया का इकलौता देश बना। शादीशुदा होने पर यदि बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। लेकिन, एक बच्चे वाले व्यक्तियों के लिए 3300 रुपये और 2 बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी।

हर 100 रुपये की कमाई पर लगता था 97.75 रुपये टैक्स
1973-74 में भारत में आयकर की दर सबसे ज्यादा थी। उस समय आयकर वसूलने की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई थी।

सरचार्ज मिलाकर यह दर 97.75 फीसदी तक पहुंच जाती थी। 2 लाख रुपये की आमदनी के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी।

पिछले साल नई टैक्स रिजीम को किया गया डिफाॅल्ट
देश में पिछले साल से नई टैक्स रिजीम को डिफाल्ट कर दिया गया है। नई टैक्स व्यवस्था को केंद्र सरकार ने एक अप्रैल 2020 से लागू किया था।

इस दौरान सुपर रिच टैक्स को घटाकर 37 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं रिटायर्ड कर्मियों के लिए लिव इनकैशमेंट की सुविधा में इजाफा कर उसे तीन लाख से 25 लाख रुपये कर दिया गया था। आजादी के बाद से आयकर के मामले में कई बड़े बदलाव देश ने देखे हैं।