Singer: चुनाव से पहले एक गाने ने बदल दी जिंंदगी, बनाना चाहता था IPS
दिल्ली: भजन और गायकी के क्षेत्र में अपना नाम देश और दुनिया में मशहूर करने वाले कन्हैया मित्तल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. कन्हैया मित्तल बचपन से ही गायकी के क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे. मात्र 7 साल की उम्र से उन्होंने भजन गाना शुरू कर दिया था, सबसे पहले भजन उन्होंने घर के पास एक मंदिर में हो जगराते में गया था.
कभी लगाते थे सामान की फडी: कन्हैया मित्तल ने बताया कि बचपन में उनका जीवन बड़ी गरीबी में बीता है. उनके पिता साइकिल पर नमकीन बेचने का काम करते थे और पंचकूला पिंजौर कालका तक साइकिल पर नमकीन बेच कर आया करते थे. उन्होंने खुद फड़ी पर समान लगाकर बेचने का काम किया है.रेवाड़ी में डीसी ने फिर लगाई धारा 144, जानिए क्यों ?
पिताजी से मिलना कई कई दिनों में हुआ करता था क्योंकि जब वह बच्चे थे और सुबह उठते थे तब पिता साइकिल लेकर सामान बेचने चले जाते थे और जब वह वापस लौटते थे सामान बेचकर तो हम सो चुके होते थे.दिवाली पर फड़ी लगाकर हम सामान बेचा करते थे. इस तरीके से जीवन बड़ा ही संघर्ष में बीता है
कन्हैया मित्तल चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और यही से संघर्ष करते हुए उन्होंने आज अपना एक मुकाम हासिल किया है. कन्हैया मित्तल खाटू श्याम जी और सालासर बालाजी के भजन गाते हैं. आज देश ही नहीं विदेशों में भी उनकी बड़ी डिमांड है.
‘कभी राम बनकर कभी श्याम बनकर चले आना प्रभुजी चले आना’ यह उनका पहला भजन था. इसके बाद से लगातार 15 वर्षों तक बिना किसी शुल्क के उन्होंने भजन गायन किया.
जानिए क्या बनाना चाहते थे ओर क्या बन गए
मित्तल ने कहा कि आम बच्चों की तरह उन्होंने भी पढ़ाई की और दसवीं में अच्छे अंक लेकर वह पास हुए. उनका एक सपना था कि वह आईपीएस बनकर देश और प्रदेश की सेवा करें लेकिन जब उन्होंने भजन गाना शुरू किया तो लोगों ने उन्हें काफी सराहा और बाद में लगा कि इसी पैशन को प्रोफेशन बनाना चाहिए और सफर बढ़ता चला गया. चंडीगढ़ से ही उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन सेक्टर 40 कॉलेज से की है