Haryana: ऊर्जा, परिवहन और श्रम मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत जयंती पर सरकारी गजटेड छुट्टी की मांग की है। राज्य सरकार ने पहले ही 25 नवंबर को वैकल्पिक छुट्टी घोषित की है। अनिल विज ने अपने पत्र में लिखा कि गुरु तेग बहादुर की शहादत धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लाखों भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को गजटेड छुट्टी घोषित की जानी चाहिए।
गुरु तेग बहादुर की शहादत पूरी मानवता के लिए अनमोल प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने धर्म, मानवाधिकार और सत्य की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, जिससे उन्हें “चादर की हिंद” के नाम से जाना जाता है। 25 नवंबर को बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारों में एकत्र होते हैं, धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं और लोग गुरु साहिब की शिक्षाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
इस अवसर पर केवल वैकल्पिक छुट्टी पर्याप्त नहीं है। अनिल विज ने कहा कि लाखों भक्तों और सरकारी कर्मचारियों को इस पर्व में पूरी तरह से भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए। गजटेड छुट्टी से न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा होगी बल्कि धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर सहभागिता सुनिश्चित की जा सकेगी।
गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत जयंती पर श्रद्धालुओं के साथ-साथ देश के कई हिस्सों से लोग भी कुरुक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। इससे न केवल धार्मिक और सामाजिक महत्व स्थापित होगा बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी सीखने और प्रेरित होने का अवसर मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुरुक्षेत्र यात्रा
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को कुरुक्षेत्र में आएंगे। वे गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहादत जयंती के मौके पर आयोजित भव्य सभा और अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में हिस्सा लेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारियां पूरी तरह से चल रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान हाल ही में बने महाभारत एक्सपीरियंस सेंटर का भी उद्घाटन करेंगे, जो जल्द ही भारत और विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए खुलने वाला है। इसके साथ ही वे पंचजन्य का भी उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव और महाआरती में भाग लेंगे।
धार्मिक और सामाजिक महत्व पर जोर
गुरु तेग बहादुर की शहादत केवल सिख धर्म के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश और मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनका बलिदान धर्म की रक्षा और मानवाधिकारों के लिए अद्वितीय उदाहरण है। इस अवसर पर गजटेड छुट्टी से न केवल श्रद्धालुओं को लाभ होगा, बल्कि सरकारी कर्मचारियों और आम नागरिकों को भी धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पूरी भागीदारी का अवसर मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस जयंती के आयोजन और प्रधानमंत्री की उपस्थिति से कुरुक्षेत्र में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ जाएगा। लाखों श्रद्धालुओं की भागीदारी और देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इसे एक यादगार पर्व बनाएंगे।

















