मिट्टी के चूल्हे पर गन्ने के छिलको से बनेगा छठ मइया का प्रसाद

सुनील चौहान, रेवाड़ी : आधुनिक दौर में भले ही शहरों और गांवों में मिट्टी के चूल्हे पर रोटी बनाने का सिलसिला खत्म होता जा रहा है, लेकिन पूर्वांचलवासी उस परंपरा को आज भी कायम रखे हुए है। छठ पूजा के लिए दो दिन पहले घर में मिट्टी के चूल्हे बनाए जाते हैं और इन चूल्हों पर ही छठ मइया का प्रसाद तैयार किया जाता है।Rewari: जोनावास में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर 18 को

कई घरों की महिलाएं समूह में एक ही जगह पर खाना बनाती है। खाना बनाते समय छठ मइया का भजनों से गुणगान किया जाता है। छठ पूजा करने वाले व्रतधारी मिट्टी के चूल्हों पर बने भोजन को ही ग्रहण करते है।

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संतोष कालोनी में रह रही व्रतधारी बुजुर्ग हरिनारायण व उसकी पत्नी उमरावती देवी ने बताया कि मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता है तथा आग के लिए गन्ने के सूखे छिलके को उपयोग में लाया जाता है।

गन्ने की खीर: लोग इस दिन खीर भी बनाते हैं जो गन्ने के रस से बनी हुई होती है। गन्ने को सेहत के लिए बहुत लाभदायक भी माना जाता है। इस वजह से इसका महत्व और अधिक होता है। लोक कथाओं के अनुसार गन्ने का इस्तेमाल इसलिए पूजा में होता है क्योंकि गन्ने पर कोई भी पक्षी और पशु नहीं बैठता है इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है।चाबी मिस्त्री हत्याकांड: हत्यारोपियों की गिरफ्तारी को मांग को लेकर अनिल बिज के बाद अब मनजिंदर से मिले परिजन

रूठ जाएगी मैया- लोक पर्व के चलते परंपरा है कि अगर खाना मिट्टी के चूल्हे पर नहीं बनाया तो सूर्य देव व छठ मइया रूठ जाती है जिससे उनका व्रत पूर्ण नहीं होता। पर्व से पहले घरों में गन्ने छिलके लेकर सुखाना शुरू कर दिया जाता है।
उमरावती, नीलगिरी कालोनी

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