Haryana में श्रम कानूनों में किए गए बदलावों के खिलाफ मजदूरों और ट्रेड यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इन बदलावों में 20 कर्मचारियों या मजदूरों वाले संस्थानों को श्रम कानूनों से बाहर करना, कार्यदिवस को नौ घंटे से बढ़ाकर दस घंटे करना, और बिना ब्रेक के छह घंटे काम करना शामिल है। इसके अलावा महिलाओं के लिए रात की शिफ्ट की अनुमति देना और सुरक्षा उपायों के बिना काम करने की शर्तें भी मजदूर संगठनों को स्वीकार्य नहीं हैं।
केंद्रीय मजदूर संगठन CITU के राज्य महासचिव जय भगवान, AITUC के राज्य महासचिव अनिल कुमार, INTUC के राज्य महासचिव धर्मवीर लोहन, HMS के महासचिव सुरेंद्र लाल, AITUC के राज्य सचिव हरि प्रकाश और सर्व कर्मचारी संघ के राज्य महासचिव नरेश ने गुरुवार को एक संयुक्त बैठक में कहा कि श्रम कानूनों में किए गए ये बदलाव सही नहीं हैं। उन्होंने मजदूरों के हितों की अनदेखी करते हुए सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
26 नवंबर को बड़े पैमाने पर आंदोलन
ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत की पांचवीं वर्षगांठ पर 26 नवंबर को हर जिले में मजदूर, कर्मचारी और किसान प्रदर्शन करेंगे। वरिष्ठ कर्मचारी नेता सुभाष लांबा ने कहा कि “Ease of Doing Business” के नाम पर मजदूरों के हितों को कुचलना गलत है। उन्होंने सरकार से मांग की कि 10 साल से न बढ़ाई गई न्यूनतम मजदूरी को तुरंत बढ़ाकर ₹26,000 प्रति माह किया जाए।
मुख्य मांगें और सुधार
विरोध प्रदर्शन के दौरान मजदूर संगठनों ने कई प्रमुख मांगें रखीं। इनमें चार श्रम कोडों को रद्द करना, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना, ठेका प्रणाली समाप्त करना और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करना, निर्माण मजदूरों सहित विभिन्न श्रमिक बोर्डों को मजबूत करना, MNREGA में 200 दिन का कार्य और ₹800 दैनिक मजदूरी सुनिश्चित करना, न्यूनतम पेंशन ₹10,000 करना, सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करना, पुराने पेंशन योजना को पुनर्स्थापित करना, निकाले गए ठेका कर्मचारियों को बहाल करना, असंगठित क्षेत्र, वाहन चालक और सड़क विक्रेताओं के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनाना, और मजदूरों तथा किसानों के कर्ज माफ करना शामिल है। इसके अलावा, 2025 का बिजली बिल रद्द करने की भी मांग की गई है।

















