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Farming: 15 दिन की ट्रेनिंग ने बदल दी किसान की जिंदगी, अब कमा रहा मोटी कमाई

Best24News, Farming:  रासायनिक खेती आजकल घाटे का सौदा बन रही है। लेकिन कृषि वेज्ञानिको की अगर सलाह पर अमल किया जो वह अवश्य मुनाफे का सोदा हो सकता है।Haryana: धुलंडी पर घमासान, जमकर हुई पत्थरबाजी, कईयो के फूटे सिर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के किसान सुखजिंदर सिंह ने आजकल रासायनिक खेती से तौबा कर ली है। अब वो प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) कर रहे हैं।

 

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15 दिन की ट्रेनिंग ने बदल दी जिंदगी

सुखजिंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने पिता प्रीतम सिंह के साथ पालमपुर में प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली। पद्मश्री सुभाष पालेकर के 15 दिन ट्रेनिंग शिविर ने उनका खेती के प्रति नजरिया बदल दिया।

घर लौटकर पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने प्राकृतिक खेती को 1 बीघा जमीन पर अपनाया। शुरुआती दो वर्षों में इन्हें नुकसान हुआ, मगर पालेकर के शिविर से वह इतने प्रभावित थे कि प्राकृतिक खेती करते रहे।

 

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सब्जियों की खेती के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में लोग घीया, कद्दू, खीरा जैसी बेलदार फसलें ज्यादा लेते हैं। सुखजिंदर ने बताया कि उन्हें सभी प्रकार की सब्जियों के साथ सरसों, लहसुन, गेहूं और मक्का में भी इस विधि से बाकी किसानों के मुकाबले बहुत अच्छे नतीजे मिले।

सुखजिंदर के पिता प्रीतम सिंह का कहना है कि 72 साल की उम्र में पहली बार कोई ऐसी खेती विधि देखी है, जिससे बाप बेटा मालामाल हो रहे है।

हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, सुखजिंदर पहले सड़क किनार शामियाना लगाकर सब्जियां बेचता था, लेकिन ग्राहक कम आते थे। जब से कृषि विभाग ने उनको कैनोपी प्रदान की, ग्राहकों की संख्या 50 फीसदी ज्यादा बढ़ गई।
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दूसरो के लिए बने प्रेरण स्त्रोत

सुखजिंदर अन्य किसानों को प्राकृतिक खेती सीखा रहे हैं। पिता-पुत्र की जोड़ी के अलावा सुखजिंदर की पत्नी भी प्राकृति खेती के प्रसार में अहम भूमिका निभा रही है। वह सरस्वती महिला समूह से जुड़ी है और इस समूह की सदस्यों को प्राकृतिक खेती की जानकारी दे रही हैं।

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