सागर हत्याकांड: जानिए कैसे अर्स से फर्स पर पहुंचा ओलिंपियन पहलवान सुशील
दिल्ली: सुनील चौहान। इकलौता ऐसा भारतीय जिसने दो-दो ओलिंपिक मेडल जीते। पूरो देश जिसे सलाम करता था, वहीं आज जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया है। कहते है कर्म बलवान है। पहले ऐसे कर्म किए कि वह फर्स से अर्स पर पहुंच गया। वहीं अब ऐसे कर्म किए जहां से जीवन की शुरूआत की थी वही पर दोबारा पुहंच गया।
नजफगढ़ में गरीब परिवार में पैदा हुए सुशील कुमार 14 साल के थे जब मॉडल टाउन के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू की थी। घर की माली हालत ऐसी नहीं थी कि दो-दो पहलवानों की ट्रेनिंग करवाई जा सके, इसलिए कजन संदीप ने पहलवानी छोड़ी और सुशील पर दांव खेला गया। लड़का तेज था। एक के बाद एक मेडल बटोरता गया। जूनियर चैम्पियनशिप, एशियन चैम्पियनशिप, कॉमनवेल्थ, ओलिंपिक…बनते चला गया।
2012 आते-आते सुशील कुमार ने पहलवानी का शिखर छू लिया था। यहीं से शुरू हुई एक सुशील कुमार की जिंदगी का दांव उलटा पड़ने की कहानी। आज सुशील कुमार हत्या के एक मामले में सलाखों के पीछे हैं। मगर कैसे? सुशील के अर्श से फर्श तक आने की कहानी भी वापस छत्रसाल स्टेडियम पर आकर टिकती है। तफसील से समझते हैं।
जूनियर से सीनियर तक के सफर में उम्मीदें जगाने लगे थे सुशील
सुशील कुमार के बुलंदियां छूने की शुरुआत होती है 1998 से। वर्ल्ड कैडेट गेम्स में बंदे ने गोल्ड मेडल जीता था। दो साल बाद एशिया लेवल पर जूनियर चैम्पियनशिप में भी दांतों तले सोना दबाया। अब बारी आगे बढ़ने की थी तो पहला पड़ाव एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप ही रहा। 2003 में यहां भी गोल्ड जीता और कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में भी। सबको बड़ी उम्मीदें थीं कि सुशील कुमार 2004 के ओलिंपिंक में जरूर कुछ करेगा मगर निराश किया। यह वो दौर था जहां से सुशील कुमार की पहचान बदलनी शुरू हुई।
2012 आया और पूरी दुनिया में छा गए सुशील कुमार:
ओलिंपिंक दूर था मगर बाकी टूर्नमेंट्स में गोल्ड जीतने का सिलसिला जारी रहा। 2005 और 2007 के कॉमनवेल्थ में भी। इतना काफी था कि सरकार सुशील कुमार को अर्जुन अवार्ड से नवाज देती। फिर आया 2008 का ओलिंपिंक। सुशील कुमार ने कांसा जीता। 2011 में सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
भारत उस समय ऐसे वक्त में था जब ओलिंपिक में एक भी पदक जीतने पर बड़े गर्व का अनुभव होता था। सुशील कुमार ने यह मौका दो-दो बार दिया है। 2012 के समर ओलिंपिक्स में सुशील ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। इकलौता ऐसा भारतीय जिसने दो-दो ओलिंपिक मेडल जीते।
पहलवान से बन चुके थे रोल मॉडल:
सुशील की भारतीय रेलवे में नौकरी लग रखी है और वे छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी भी हैं। सुशील कुमार 2012 के बाद एक रोल मॉडल बन चुके थे। पहलवानी करने वाला हर युवा उन्हें आदर्श की तरह देखता था। इन्हीं में से एक था सागर धनखड़। सागर 2012-13 सत्र में छत्रसाल स्टेडियम आया। यहीं पर उसका टेस्ट हुआ। टेस्ट लेने वाले भी सुशील ही थे।
सुशील के ससुर और छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी का स्कूल चलाने वाले सतपाल सिंह भी सागर से प्रभावित हुए। हॉस्टल में सागर को कमरा दिला दिया गया। उसकी ट्रेनिंग चलने लगी। सागर बढ़िया पहलवान था। देश-विदेश में कई मेडल जीते। पिछले साल तक यहीं हॉस्टल में रहता था। उसके बाद मॉडल टाउन के एम ब्लॉक में शिफ्ट हो गया। आरोप है कि जिस फ्लैट में सागर रहता था, वहीं से उसे अगवा कर लिया गया।
4 मई 2021…में बन आरोपी:
इसी महीने की 4 तारीख को रात करीब 11 बजे एम ब्लॉक के उसी फ्लैट पर कुछ लोग पहुंचते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सागर और उसके साथियों को किडनैप कर लिया गया। सागर के अलावा जिन्हें किडनैप किया गया, उन्होंने पुलिस को बताया कि नीचे कार में सुशील कुमार बैठे थे। सबको गन पॉइंट पर छत्रसाल स्टेडियम ले जाया गया। वहीं, जहां से सुशील कुमार की ट्रेनिंग शुरू हुई। वहीं, जहां से सागर का करियर आगे बढ़ा।
आरोप है कि इसी छत्रसाल स्टेडियम की पार्किंग में सागर और उसके दोस्तों- सोनू और अमित कुमार को बुरी तरह पीटा गया। तीनों की हालत खराब थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां सागर ने दम तोड़ दिया। नाम आया सुशील कुमार का। किस वजह से यह पूरी घटना हुई, इसे लेकर कुछ साफ नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने रखा एक लाख का इनाम:
सागर की हत्या में आरोपी बनाए जाने के बाद से ही सुशील कुमार गायब हो गए। कभी उनके उत्तराखंड में छिपे होने की बात सामने आई तो कभी हरियाणा में। दिल्ली पुलिस ने सुशील पर एक लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा कर दी। लुकआउट नोटिस जारी हुआ। अदालत ने 15 मई को सुशील कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। फिर सुशील की तरफ से वकील कुमार वैभव के जरिए रोहिणी की जिला अदालत में अंतरिम जमानत की याचिका डाली।
अदालत ने 18 मई को याचिका खारिज कर दी। सुशील के वकील का तर्क था कि ‘बेबुनियाद आरोपों के जरिए छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।’ पुलिस ने कहा कि सुशील इस मामले में मुख्य आरोपी हैं जिनकी इस अपराध में अहम भूमिका है।
आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गए सुशील कुमार:
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के डेप्युटी कमिश्नर पीएस कुशवाह के अनुसार, सुशील कुमार को उनके सहयोगी अजय उर्फ सुनील के साथ मुंडका से अरेस्ट किया गया है। अजय की गिरफ्तारी पर भी 50,000 रुपये का इनाम था। आरोपी अब छह दिन रिमांड पर लिया गया है।