Haryana: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, छह बार के विधायक और पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देकर हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चार पन्नों का विस्तृत पत्र भेजा है, जिसमें कांग्रेस के अंदर परिवारवाद, गुटबाजी और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संपत सिंह ने लिखा कि कांग्रेस अब विचारधारा की नहीं, बल्कि व्यक्तिवाद और परिवारवाद की कैद में है। उनका कहना है कि वर्ष 2009 से लेकर अब तक हरियाणा कांग्रेस लगातार हारती रही है, लेकिन न तो किसी की जवाबदेही तय हुई और न ही नए नेतृत्व को मौका मिला। उन्होंने कहा कि “15 साल की नाकामी के बाद भी वही चेहरे पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, जो हार की वजह बने।”
दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं की उपेक्षा का आरोप
अपने पत्र में संपत सिंह ने कांग्रेस पर दलित और पिछड़े वर्ग के नेताओं के साथ भेदभाव करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने दलित नेताओं का अपमान कर अपना जनाधार कमजोर किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुमारी शैलजा के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां और वीडियो फैलाए गए तथा उनके समर्थकों के टिकट काटे गए। संपत सिंह ने टिकट वितरण प्रक्रिया को धनबल और सिफारिश आधारित बताया। उन्होंने यह भी लिखा कि 2016 के राज्यसभा चुनाव से लेकर 2020 में नेता पुत्र को राज्यसभा भेजे जाने तक, कांग्रेस ने हर स्तर पर परिवारवाद को बढ़ावा दिया। उनके अनुसार, रणदीप सुरजेवाला जैसे योग्य नेता को हरियाणा से बाहर भेजा गया, जबकि कमजोर नेतृत्व को बनाए रखा गया।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अपमान और निष्कासन पर सवाल
संपत सिंह ने अपने पत्र में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं — भजनलाल, राव इंद्रजीत सिंह, कुलदीप बिश्नोई, धर्मबीर सिंह, बीरेंद्र सिंह, अशोक तंवर, अरविंद शर्मा और अवतार सिंह भडाना — का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी को उपेक्षा और अपमान का सामना करना पड़ा, जिसके कारण वे पार्टी छोड़ने को मजबूर हुए। उन्होंने 2016 के राज्यसभा चुनाव का जिक्र करते हुए दावा किया कि सोनिया गांधी द्वारा स्वीकृत उम्मीदवार आर.के. आनंद को कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ही धोखा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक निर्दलीय विधायक, जो आज कांग्रेस सांसद है, को जानबूझकर अलग पेन से वोट डालने को कहा गया, ताकि वह वोट रद्द हो जाए। संपत सिंह ने इसे पार्टी की अंदरूनी राजनीति का सबसे शर्मनाक उदाहरण बताया।
घर वापसी की उम्मीद — इनेलो में फिर लौट सकते हैं संपत सिंह
अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि संपत सिंह एक बार फिर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में वापसी कर सकते हैं। दरअसल, 25 सितंबर को चौधरी देवीलाल जयंती पर रोहतक में आयोजित इनेलो की शक्ति प्रदर्शन रैली में उन्होंने अभय चौटाला के साथ मंच साझा किया था। उसी समय से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह जल्द कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अब इन अटकलों को और बल मिल गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर संपत सिंह इनेलो में लौटते हैं, तो यह पार्टी के लिए हरियाणा में बड़ी मजबूती का कारण बन सकता है। अपने पत्र में उन्होंने साफ लिखा है — “कांग्रेस अब एक परिवार की जागीर बन चुकी है, जहां निष्ठा का इनाम दासता और मतभेद की सजा निष्कासन है।” यह बयान हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस के भीतर उभरते असंतोष की एक बड़ी झलक मानी जा रही है।

















