झाबुआ में वन विभाग की टीम ने डाला डेरा, टाइगर हर मूवमेंट पर टिकी पर नजरें
Tiger Location Update: सरिस्का वन विभाग (अलवर) से भटक कर हरियाण के रेवाड़ी पहुचे खूनी टाइगर को ट्रैंक्कुलाइजर करना चुनौती बना हुआ है। भले से 28 दिन पहले अलवर से निकले टाइगर की वन विभाग टीम को सही लोकशन मिल गई हो, लेकिन पकडने के दावे हथकंडे फेल हो रहे हैं। कई दिनो झाबुआ मे डेरा लगाए हुआ टाइगर रेवाड़ी वाले के लिए भय बना हुआ हैं
बता दे दो दिन पहने गांव झाबुआ स्थित मोर व चिंकारा प्रजनन केंद्र मे टाईगर की फोटो सीसीटीवी में कैद हो गई थी। जिसके बाद वन विभाग की टीन ने यहीं पर डेरा डाला हुआ है।Tiger Location Update
बाघ की लोकेशन मिलने के बाद अलवर वन विभाग की टीम ने उसे पकड़ने की पूरी प्लानिंग तैयार की है। वन विभाग की टीम पिंजरा लगाने के अलावा जाल बिछाकर शिकार (किसी जानवर) को रखेगी ताकि शिकार को झपटते ही टाइगर को पकडा जा सके।
वन विभाग के अधिकारियों उसे पकउने का काफी प्रयास कर रहे है लेकिन टाइगर भी बाहर ही नहीं निकल रहा है । अगर टाइगर शिकार के लिए बाहर आए तो उसे ट्रैंक्कुलाइजर गन का इस्तेमाल कर उसे बेहोश किया जा सकता है। ऐसे में शिकार ही बाघ को पकड़ने का अब एकमात्र सहारा बचा है।
26 दिन बाद मिली सही लोकेशेन: यू तो बात अलवर से करीब 28 दिन पहले से ही गायब है। 15 अगस्त को अलवर के के मुंडावर के गांव दरबारपुर मे हमला करने का टीम का पता चला कि टाइगर अलवर से इतनी दूर आ चुका है। उसके बाद से टीम उसके पीछे लगी हुई है।
बाद मे टाइगर हरियाणा के जिला रेवाड़ी के गांव झाबुआ आ गया। यहां पर टाइगर की पक्की लोकेशन मिलने के बाद सरिस्का वन विभाग (की टीम ने भी राहत की सांस ली है। उसी दिन से टीम ने यही पर जमवाडा लगाया हुआ है।
10 ट्रैप कैमरे से हो रही निगरानी
सरिस्का से गांव झाबुआ के जंगल में पहुंचे बाघ की पहली तस्वीर सोमवार को सामने आई थी। बाघ मोर एवं चिंकारा प्रजनन केंद्र से मात्र 300 मीटर की दूरी पर छिपा है। पूरा जंगल 750 एकड़ में है। बाघ का फोटो सुबह वन विभाग के ट्रैप कैमरे से ली गई थी। वन विभाग की टीम ने जंगल में 10 ट्रैप कैमरे लगाए हैं। यह ट्रैप कैमरे किसी भी प्रकार की मूवमेंट को तुरंत कैद कर लेते हैं