पूर्व मुख्य मंत्री राव बिरेंद्र सिंह पुण्य तिथि पर विशेष: हरियाणा के इस दिग्गज नेता के आगे इंदिरा गांधी भी हो गई थी फेल, बुरी तरह से हारा था कांग्रेस का प्रत्याशी
हरियाणा: हरियाणा के पूर्व मुख्य मंत्री राव बिरेंद्र सिंह आज पुण्य तिथि है। आज हम आपको उस दौर की घटना बता रहे हैं जब अहीरवाल के दिग्गज राव बिरेंद्र सिंह के सितारे चमक रहे थे। वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस की तूती बोल रही थी, लेकिन राव ने कुछ वर्ष पूर्व अस्तित्व में आई अपनी विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर कांग्रेस को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था।
इंदिरा गांधी को आना पडा था रेवाड़ी
समय-समय का फेर है समय-समय की बात। किसी समय के दिन बड़े और किसी समय की रात। राजनीति में दिग्गजों के उतार-चढ़ाव भरे दिन इस कहावत को चरितार्थ करते रहे हैं। राव की हार सुनिश्चित करने के लिए खुद इंदिरा गांधी रेवाड़ी आई थी, लेकिन इंदिरा भी राव की जीत नहीं रोक पाईं।
हालांकि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की मौजूदगी में राव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था, लेकिन इससे पूर्व राव ने खुद की पार्टी बनाकर देश की राजनीति में अपने प्रभाव का जलवा दिखा दिया था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उस समय राव निहाल सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए आई थी। इंदिरा को देखने के लिए नारनौल रोड़ पर कई गांवों के लोग सड़कों के किनारे आकर खड़े हो गए थे। इंदिरा गांधी ने भी हाथ हिलाकर सभी ग्रामीणों का अभिवादन स्वीकार किया था। इस चुनाव में राव बिरेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर भी।
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संभवत: यह पहला और आखिरी मौका था जब राव ने पैदल चलकर वोट मांगे और वह जनता के दिलों पर राज करने में सफल भी रहे। वर्ष 1971 के चुनाव में हरियाणा में 9 लोकसभा सीटें थी। इनमें से कांग्रेस ने 7 व भारतीय जनसंघ ने जीती थी। कांग्रेस की लहर के बावजूद राव 1899 वोटों से अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे।
राव बिरेंद्र सिंह को 159125 व उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के निहाल सिंह को 157226 वोट मिले थे। तब कुल छह उम्मीदवार थे। चार की जमानत जब्त हो गई थी। मतदान 3 मई 1971 को हुआ था। 3 लाख 49 हजार 98 मतदाताओं ने मतदान किया था। 9067 वोट रद हो गए थे।