प्राइवेट क्षेत्र का पहला कॉर्गो टर्मिनल रेवाड़ी में शुरू,प्रबंधक निदेशक ने दिखाई हरी झंडी

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हरियाणा: डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसी) ने रेवाड़ी गति शक्ति कॉर्गो टर्मिनल (जीसीटी) से कामकाज शुरू कर दिया है।इसी के सा​थ ही माल ढुलाई के क्षेत्र मे एक नया अध्याय जुड गया है।

डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक आर के जैन ने यहां से पहली डबल स्टैक कंटैनर ट्रेन का हंडी झंडी दिखाकर मुंबई के लिए रवाना किया। इस मौके पर संचालन व व्यससाय विकास निदेशक नंदूरी श्रीनिवास भी मौजूद रहे।Share Market: इस कंपनी ने दिया बंपर रिटर्न, 1 लाख के बने 4 करोड़ रूपये

जीसीटी सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी (पीपीपी) मॉडल पर बना है, जिसमें पूरा निवेश निजी कारोबारियों ने किया है।

रेलवे की फर्म ने कहा, ‘भारतीय रेलवे के मौजूदा कामकाज से यह क्रांतिकारी बदलाव है, जहां रेलवे ने टर्मिनल एक्सेस चार्ज का एक हिस्सा जीसीडी ऑपरेटर से साझा किया है। इस कदम से सुनिश्चित हुआ है कि रेलवे या डीएफसीसी के निवेश के बगैर टर्मिनल विकसित हो सकता है।’

अधिकारियों ने कहा कि सरकारी कंपनी कंटेनर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग दिग्गज डीपी वर्ल्ड के साथ दौड़ में इसे प्रिस्टाइन ने प्राप्त किया।

हरियाणा में 8 करोड़ रुपये का जीसीटी पूरी तरह से कंटेनर ट्रैफिक के लिए बनाया गया है, जो वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के न्यू रेवाड़ी स्टेशन की लाइन 10 के किनारे है। इसका परिचालन प्रिस्टाइन मेगा लॉजिस्टिक्स पार्क द्वारा होगा।

प्रिस्टाइन के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लुधियान के फ्रेट एग्रीगेटर को राजस्व जुटाने के लिए टर्मिनल ने अनोखा अवसर दिया है।

फर्म के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘तमाम ऐसे शहर हैं, जहां से सिंगल स्टैक कंटेनर लुधियाना में डबल स्टैकिंग के लिए भेजे जाते हैं और प्रायः पूरी आपूर्ति श्रृंखला में देरी हो जाती है। इस टर्मिनल के माध्यम से हम इंतजार की अवधि कम कर सकेंगे।

साथ ही ढुलाई की मात्रा भी बढ़ेगी। यही वजह है कि हमने टर्मिनल एक्सेस चार्ज (टीएसी) में कोई दावा बोली के दौरान नहीं किया है। हमें जीसीटी के मुनाफे को लेकर भरोसा है।’

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ठेका दिए जाने के 75 दिन के भीतर यह टर्मिनल चालू हो गया है। उद्घाटन के दौरान मौजूद रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि निजी क्षेत्र की रुचि इस हिसाब से अहम है क्योंकि बोली में शामिल सभी 3 कंपनियों ने शून्य राजस्व साझा के लिए बोली लगाई।

सामान्यतया टर्मिनल एक्सेस चार्ज (टीएसी) का एक निश्चित हिस्सा रेलवे द्वारा ऑपरेटर के साथ साझा किया जाता है। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में जनवरी में जीसीटी का आवंटन ग्रासिम इंडस्ट्रीज को हुआथा, जिसमें रेलवे को टीएसी का 15 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।

डीएफसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस टेंडर में शून्य राजस्व साझा वाली बोली की जंग के कारण रेलवे बोर्ड के भीतर पुनर्विचार करना पड़ा। यह टर्मिनल नए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए पथ प्रदर्शक होगा।’