Chhath Puja 2025 Kharna: महापर्व छठ की शुरुआत आज यानी 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ हो चुकी है। चार दिनों तक चलने वाले इस पवित्र पर्व का समापन 29 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर होगा। छठ के दूसरे दिन, यानी कल 26 अक्टूबर को खरना का आयोजन होगा, जिसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है।
खरना छठ व्रत का अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन व्रती 24 घंटे के उपवास के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना कर व्रत की औपचारिक शुरुआत करते हैं।Chhath Puja 2025 Kharna
खरना के दिन प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर और रोटी बनाई जाती है। परंपरा के अनुसार यह खीर मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर तैयार की जाती है। माना जाता है कि आम की लकड़ी से बने चूल्हे में पकाई गई खीर और रोटी प्रसाद को अधिक पवित्र बनाती है। अन्य लकड़ियों का प्रयोग वर्जित माना गया है।Chhath Puja 2025 Kharna
व्रती इस दिन पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद सूर्यास्त के समय पूजा संपन्न करते हैं। पूजा के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
खरना का प्रसाद गुड़, दूध और चावल से बनने वाली खीर और गेहूं की रोटी या पूड़ी का होता है। इसे पीतल या मिट्टी के बर्तन में बनाना शुभ माना गया है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगले 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए निर्जला उपवास करते हैं, जो चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है।
जानिए क्यों करते ब्रत: धार्मिक मान्यता है कि खरना का यह प्रसाद पवित्रता, संयम और आस्था का प्रतीक है। इसे ग्रहण करने से मन शुद्ध होता है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। एक समय था पहले पूर्वाचल व्रत के लिए अपने गांव जाते थे लेकिन आज यहीं धारूहेडा में रहकर ही पर्व मनाते है।Chhath Puja 2025 Kharna

















