बिजली​ बिलो में गोलमाल: ओडिट में हुआ खुलासा, पांच साल बाद दोबारा भेजे जा रहे बिल, मची अफरा तफरी

रेवाडी: बिजली कर्मियो से मिलकर मीटरों के बिलो में छेडखानी करने वाले की ओडिट के चलते पोल खुल गई है। इस ऑडिट में जिला में 600 से भी अधिक उपभोक्ताओं को 5 साल बादएवरेज बिलों में आए अंतर की राशि जमा कराने के नोटिस दिए गए हैं। हैरानी की बात यह हकि यह राशि कोई छोटी-मोटी नहीं अपितु अधिकतर उपभोक्ताओं को 20 से 30 हजार रुपए तक है। निगम के ओर से पांच साल बाद भेजे जा रहे नोटिसों से उपभोक्ताओं की नींद उड़ी हुई है और वह निगम कार्यालयों में चक्कर लगा रहे हैं।

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बिलो की राशि में अंतर: निगम की इंटरनल ऑडिट टीम की तरफ से सब डिवीजन स्तर पर पहले जमा हो चुके बिलों की ऑडिट की जाती है। इस ऑडिट का आधार पर उपभोक्ताओं की तरफ से जमा कराया संबंधित वित्तीय वर्ष का बिल और उससे पिछले साल का बिल होता है। चूंकि बिलों की राशि में अक्सर हर माह अंतर आता है और निगम की तरफ से पिछले और ऑडिट किए जाने वाले साल के बिल का अंतर देखकर यह राशि निकाली जाती है। इसे निगम की भाषा में पोस्ट ऑडिट कहा जाता है।

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फिलहाल निगम की तरफ से वित्तीय वर्ष 2016-17 की ऑडिट पूरी की गई है। इस ऑडिट में सभी सब डिवीजनों में उपभोक्ताओं पर यह राशि निकाली गई है। इसमें सबसे अधिक पैसा रेवाड़ी, गोठड़ा, बुड़ौली और कोसली सब डिवीजन में निकाला गया है। धारूहेडा में फिलहाल ऐसा कोई मामला सामन नहीं आया है।

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600 को भेजे नोटिस: निगम की ओर से अभी ऑडिट टीम की तरफ से नोटिस जारी किए जाने की प्रक्रिया चल रही है और अभी तक लगभग 600 से अधिक उपभोक्ताओं को यह नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इसमें उनके बिलों में आए अंतर के आधार पर बनी एवरेज राशि में हुए अंतर की बनी राशि जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं।

5 से 30 हजार तक के नोटिस
निगम के विभिन्न सब डिवीजनों की तरफ से इन एवरेज राशि में आए अंतर के बिलों की राशि का यह नोटिस दिया जा रहा है। इसमें किसी को 3 हजार तो किसी को 30 हजार रुपए जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। इतनी बड़ा अमाउंट आने के बाद उपभोक्ताओं के होश उड़े हुए हैं। वहीं स्थिति यह है कि निगम की तरफ से जो नोटिस दिए जा रहे हैं उसमें भी यह बात क्लियर नहीं है कि किस वर्ष की ऑडिट राशि है और किस आधार पर यह जारी की गई है। साथ ही नोटिस में कहा गया है कि सात दिनों के अंदर यह राशि भी जमा कराए हैं।

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कारण: जले हुए मीटर और एवरेज बिल:

निगम अधिकारियों ने बताया कि इंटरनल ऑडिट टीम की तरफ से जमा हो चुके बिलों की ऑडिट की जाती है। इसमें उन बिलों को चेक किया जाता है जो कि एवरेज बेस दिए जाते हैं। अधिकतर मामलों में देखने में आता है कि निगम का कर्मचारी रीडिंग दर्ज नहीं करके आता है अथवा किसी कारण से मीटर नहीं चल रहा है तो उन्हें एवरेज बेस बिल दे दिया जाता है।

ऑडिट टीम की तरफ से उन्हीं बिल वाले उपभोक्ताओं को यह नोटिस दिया जा रहा है। जबकि उनकी तरफ से बिल राशि उस समय भी जमा कराई जा चुकी है। कई मामलों में मीटर जला हुआ है तो उसका बिल भी पिछले साल के उपभोग के आधार पर ऑडिट राशि लगाई जाती है। ऐसे में जिन उपभोक्ताओं पर बड़ा अमाउंट लगाया गया है वह चक्कर काट रहे हैं।

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दूसरी ऑडिट शुरू, ओर आएंगे नोटिस

निगम की तरफ से फिलहाल वर्ष 2016-17 की ऑडिट पूरी करके नोटिस दिए जा रहे हैं। इसके बाद वर्ष 2017-18 की भी ऑडिट शुरू होने जा रही है। ऐसे में इस साल वाले उपभोक्ताओं को भी यह नोटिस जारी होंगे।

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राशि में अंतर होने पर जारी हुए हैं नोटिस:
निगम की इंटरनल ऑडिट टीम की तरफ से जो बिलिंग राशि का अंतर निकाला गया है उन्हीं उपभोक्ताओं को यह नोटिस जारी किए गए हैं। इसमें यह राशि बहुत अधिक नहीं होती है फिर भी जिन उपभोक्ताओं की राशि काफी अधिक है वह इस बारे में शिकायत करें तो उसका समाधान अवश्य किया जाएगा। यह सभी सब डिवीजनों में जारी किए गए हैं।
-एमएल रोहिल्ला, अधीक्षक अभियंता, रेवाड़ी सर्कल।