Haryana : शिक्षा विभाग की ओर से व आयुष विभाग के सहयोग से सरकारी विद्यालयों में किचन गार्डन की तर्ज पर अब हर्बल गार्डन भी स्थापित किए जाएंगे। यह औषधीय पौधे रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन में अहम भूमिका निभाएंगे तथा रोगों को ठीक करने में भी उपयोगी होंगे।
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में एक नई पहल के तहत प्राकृतिक संपन्नता को बढ़ावा देने का एक नया मंच उत्पन्न हो रहा है। स्कूली बच्चों को प्राकृतिक रूप से जोड़ने के लिए, सरकारी स्कूलों के प्रांगण में हर्बल पार्क का निर्माण किया जा रहा है, जो औषधीय पौधों की सुगंध से युगलों को आकर्षित करेगा। Haryana
वित्तीय सहायताHaryana : स्कूलों को हर्बल पार्क की स्थापना के लिए आयुष विभाग की तरफ से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। इसके तहत, प्रति स्कूल 25 हजार रुपये की दर पर 500 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्र में हर्बल पार्क की स्थापना की जाएगी।
शिक्षा में सहयोग: यह पहले से ही शिक्षा मंत्रालय की नजर में है कि हर्बल पार्क के देखभाल में छात्रों और अध्यापकों को सहयोग करना होगा। बच्चों को पौधों की देखभाल में शामिल किया जाएगा, जिससे उनके ज्ञान और संवेदनशीलता में वृद्धि होगी।
पौधों की विविधता: यह हर्बल पार्क अनेक प्रकार के पौधों को पेश करेगा, जैसे कि तुलसी, आंवला, अश्वगंधा, सतावरी, गुडमर, गुग्गल, कलीहरी, पीपली, गंधा, पिपरमिंट, चित्रक, नीम, नागेश्वर, आदि। ये पौधे विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोगी होते हैं और बच्चों को उनकी महत्ता के बारे में जागरूक करेंगे
औषधीय पौधों के क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से 2020 में राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड की स्थापना भी की गई थी। यह बोर्ड वर्तमान में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के एक अनुभाग के रूप में कार्य कर रहा है।
आयुष विभाग की तरफ से हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। फिलहाल, विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने सरकारी विद्यालयों से हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए आवेदन मांगे हैं।
रोगों को ठीक करने में पौधे होंगे उपयोगी Haryana
निदेशालय की ओर से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि यह औषधीय पौधे रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन में अहम भूमिका निभाएंगे तथा रोगों को ठीक करने में भी उपयोगी होंगे।
बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इससे पहले शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में किचन गार्डन बनाए थे, ताकि विद्यालय में ही बच्चों को रसायन मुक्त सब्जियां उपलब्ध हो सकें।
सभी विद्यालय मुखियाओं को दिशा निर्देशों के अनुसार प्रस्ताव आयुष विभाग को भेजने के बारे में निर्देशित करने के लिए पत्र जारी किया है, ताकि विभाग द्वारा विद्यालयों को हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।
डॉ. अशोक नामवाल, डीएमएस रेवाड़ी।