Haryana News: हरियाणा को आज पंजाब से अलग हुए पूरे 60 साल हो चुके हैं। 1 नवंबर 1966 को जब हरियाणा का गठन हुआ था, तब यह प्रदेश हर मायने में पिछड़ा हुआ था। उस समय यहां केवल तीन खेल स्टेडियम थे और खेलों की सुविधाएं लगभग न के बराबर थीं। लेकिन आज यही हरियाणा खेलों की नर्सरी कहलाता है। अब प्रदेश में 300 से अधिक स्टेडियम हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैकड़ों खेल मैदान तैयार किए जा चुके हैं।
खेलों का सबसे बड़ा हब बना हरियाणा
आज हरियाणा पूरे देश का स्पोर्ट्स हब बन चुका है। यहां करीब 1500 खेल नर्सरियां चल रही हैं, जहां से हर साल नए खिलाड़ी उभरकर सामने आ रहे हैं। हरियाणा की खेल नीति अब देश के अन्य राज्य भी अपनाने लगे हैं। सरकार पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को करोड़ों रुपए इनाम और सरकारी नौकरी देकर उन्हें सम्मानित करती है।
कम आबादी, ज्यादा पदक
देश की कुल आबादी में हरियाणा की हिस्सेदारी सिर्फ 2.1 प्रतिशत है, लेकिन खेलों में इसका योगदान 30 प्रतिशत पदकों के रूप में दिखता है। भिवानी के विजेंद्र सिंह ने बॉक्सिंग में पहला ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रचा, वहीं कैप्टन हवासिंह ने एशियाई स्तर पर देश का नाम रोशन किया।
महिला मुक्केबाजों की बादशाहत
विश्व मुक्केबाजी रैंकिंग में हरियाणा की 6 महिला मुक्केबाजें टॉप-10 में शामिल हैं। विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से हरियाणा को खेल महाशक्ति बना दिया है।
कबड्डी से ओलंपिक तक का सफर
हरियाणा के खिलाड़ियों ने न केवल ओलंपिक और एशियन गेम्स में झंडे गाड़े हैं बल्कि कबड्डी, हैंडबॉल, फुटबॉल और वॉलीबॉल में भी शानदार प्रदर्शन किया है। 3 स्टेडियमों से शुरू हुआ यह सफर अब ओलंपिक तक पहुंच चुका है। आज हरियाणा की मिट्टी से निकले खिलाड़ी देश-दुनिया में महफिल लूट रहे हैं और यह राज्य भारत की खेल पहचान बन चुका है।

















