हरियाणा अब प्राकृतिक खेती की ओर लौटेगा। प्रदेश के किसानों का प्राकृतिक खेती की ओर रुझान बढ़ाया जाएगा। कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से फैल रही बीमारियों और फसलों पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।
प्रदेश की उप सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करेगी। इस साल के बजट में उनके लिए विशेष सब्सिडी की घोषणा की जा सकती है। इतना ही नहीं, प्रदेश में प्राकृतिक और जैविक खेती करने वाले किसानों की फसलों के लिए अलग से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी तय किया जाएगा।
साथ ही, किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिए अलग से मंडियां भी स्थापित की जाएंगी। पहले चरण में हर जिले में कम से कम एक मंडी स्थापित करने की योजना है। प्रदेश के कृषि एवं बागवानी मंत्री श्याम सिंह राणा इस योजना पर काम कर चुके हैं।
अधिकारियों की मदद से वे पूरी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। प्राकृतिक और जैविक फसलों के लिए एमएसपी और अलग से मंडियों का मसौदा तैयार होने के बाद वे इस संबंध में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बात करेंगे। केंद्र की मोदी सरकार भी देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के पक्ष में है।
हिमाचल के बाद अब गुजरात और हरियाणा में भी गुजरात के राज्यपाल और कुरुक्षेत्र गुरुकुल के आचार्य देवव्रत की प्राकृतिक खेती की मुहिम को आगे बढ़ाया जा रहा है। हरियाणा में पिछली मनोहर सरकार ने भी बजट में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष प्रावधान किए हैं।
हरियाणा में तीन तरह की खेती होती है। अभी भी किसानों का ध्यान रासायनिक खेती की तरफ ज्यादा है। कुछ किसान जैविक खेती की तरफ बढ़े हैं। वहीं, प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है।
प्राकृतिक खेती जैविक खेती से सस्ती है, लेकिन इसमें मेहनत ज्यादा लगती है। वहीं, रासायनिक खेती में मेहनत कम लगती है।

















