Mahashivratri: नूंह के नल्हरेश्वर मंदिर में लगेगा भव्य मेला, लाखों श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक
5200 साल पुराना रहा है इस मंदिर इतिहास, 31 जुलाई 2023 को हुई थी यहीं पर हिंसा

Nalahareshvar Mahadev Mandir Nuh: हरियाणा में नूंह में स्थापित Nalahareshvar Mahadev Mandir एक बार फिर चर्चा में आ गया है। क्योंकि महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) पर इस ऐतिहासिक नल्हरेश्वर महादेव शिव मंदिर मेला भरेगा। ऐसे में एक बार फिर यहां पर भक्तों का हुजूम उमड़ने की उम्मीद है।
जानिए क्यों है प्रसिद्ध: हरियाणा के नूंह जिले में 31 जुलाई 2023 को हुई हिंसा से देश–प्रदेश में चर्चाओं में आए मेवात के हजारों साल पुराने शिव मंदिर पर 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा। इस मंदिर पर 31 जुलाई 2023 को शोभायात्रा के दौरान दो समुदाय के बीच हिंसा झड़प हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी
बता दे कि Nalahareshvar Mahadev Mandir का इतिहास 5200 साल पुराना है। इसी आस्था के चलते महाशिवरात्रि के पर्व पर बडी संख्या में लोग मंदिर में भगवान शिव पूजा अर्चना करते आते हैं । वर्षो पुराने इस मंदिर मे अपनी मनोकामनाएं पूरी होती हैं इसी लिए यहां पर महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर ज्याद भगत पहुचते है।
Nalahareshvar Mahadev Mandir Nuh में इस बार एक बार फिर महाशिवरात्रि के पर्व पर लाखों लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए पहुंचे है। इस भव्य कार्यक्रम को लेकर मंदिर समिति ने भगतो को कोई परेशानी नहीं हो, इसकेलिए तैयारियां शुरू कर दी है।
श्री कृष्ण के चरण पडे थे इस मंदिर पर: इतिहासकारों का मानना है कि कौरवों और पांडवों का समझौता करवाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने हरियाणा के इसी जगह को चुना था। ऐसे में साफ जाहिर है कि जहां श्री हरि के चरण पड़े हो वहां पर जाना किसी पुण्य से कम नही है। यहीं पर काफी पुराना पेड है। इस पेड़ के नीचे से पानी निकलता है।
इस पेड तक पहुंचने के लिए मंदिर समिति की तरफ से सीढ़ियां बनाई गई हैं। मंदिर समिति के चेयरमैन सरदार जीएस मलिक ने महाशिवरात्रि के पर्व पर इस मंदिर में भव्य मेला लगता है। बडी संख्या में श्रऋालु आस्था के चलते यहां पहुंचते है तथा शिवभक्त कावड़ चढ़ाते हैं । महाशिव रात्रि पर सुबह से भोले नाथ की अराधना करने वालों का ताता लगा रहता हैं
विशाल भडारा होगा: मेंले में अथाह श्रऋालु पहुंच रहे है। बता दे हर सोमवार को यहाँ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। सबसे अहम बात यह है कि भगवान शिव का यह मंदिर अरावली पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपने पुराने इतिहास का दोहराता है।