Haryana news: आरक्षण के विरोध में रेवाड़ी चैंबर आफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज पहुंचा हाईकोर्ट

हरियाणा: हरियाणा द्वारा स्थानीय उद्योगों में तय किए गए 75% आरक्षण के खिलाफ गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के बाद अब रेवाड़ी चैंबर आफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज (आरसीसीआई) ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसके अलावा बिजली बिलों पर लगाए गए 2% उगाही पंचायत टैक्स को लेकर भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी है।

बिजली निगम ने इस 2% टैक्स के साथ पिछले माह से वसूली भी शुरू कर दी है। इस टैक्स से जिले के उद्योगों पर करोड़ों का भार पड़ेगा। एचएसआईआईडीसी से प्लॉट लेने के बावजूद पंचायती टैक्स भरने के आदेशों से उद्यमियों में खासी नाराजगी है। रेवाड़ी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (आरसीसीआई) की ओर से इस बारे में आपत्ति जताई है।

पदाधिकारियों का कहना है कि एचएसआईआईडीसी इकाइयों से डेवलपमेंट चार्ज वसूल रही है। एक ही जगह के लिए दोहरे टैक्स का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए सरकार को इस टैक्स के आदेश वापस लेने चाहिए। यदि जबरदस्ती वसूला जाता है तो कोर्ट जाने के अलावा उनके पास विकल्प नहीं है।

आईएमटी पर लागू नहीं होते आदेश:

आरसीसीआई अध्यक्ष एसएन शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने बिजली निगम के अधीक्षक अभियंता से मुलाकात कर समस्या से अवगत कराया। आरसीसीआई की ओर से दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि औद्योगिक इकाइयों को एचएसआईआईडीसी द्वारा प्लॉट आवंटित किए गए थे।

इकाइयां अपेक्षित विकास एवं अन्य शुल्क अदा कर रही हैं। अब उसी भूमि के लिए बिजली बिलों पर 2% पंचायत टैक्स तथा 5% म्यूनिसिपल टैक्स लागू कर दिया गया है। जो कि सरासर गलत है। ये टैक्स आईएमटी पर लागू नहीं होना चाहिए।

2 करोड़ से ज्यादा का भार बढेगा:

आरसीसीआई अध्यक्ष का कहना है कि धारूहेड़ा बिजली कार्यालय के अधीन आने वाले बावल और धारूहेड़ा के उद्योग ही हर माह 70 करोड़ रुपए के बिल का भुगतान कर रहे हैं। रेवाड़ी के क्षेत्र के उद्योग अलग हैं। शर्मा का कहना है कि 2% पंचायत और 5% म्यूनिसिपल टैक्स लगाया गया है। इससे यहां के उद्योगों को 2 करोड़ से अधिक भुगतान करना होगा।

सरकार तक पहुंचाई जाएगी मांग

बिजली निगम के धारूहेड़ा एक्सईएन का कहना है कि आरसीसीआई पदाधिकारियों ने अपना मांगपत्र सौंपा है। हम सरकार तक उनकी मांग को पहुंचाएंगे। सरकार से जो आदेश आएंगे, उनकी पालना होगी।

75 प्रतिशत आरक्षण; युवाओं के अधिकारों के हनन का दिया तर्क:

याचिका के अनुसार यह कानून हरियाणा के उद्योगों के लिए मौजूदा औद्योगिक रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा व नौकरशाही लाल फीताशाही को बढ़ावा देगा।
इंडस्ट्रीज ने अपनी याचिका में कहा है कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन होगा।
इंडस्ट्रीज के अनुसार 75 प्रतिशत नौकरियों का आरक्षण संवैधानिक संप्रभुता के प्रविधानों के खिलाफ है।
इधर, प्रदूषण को लेकर 5 दिन 8 घंटे उद्योग चलाने के आदेश पर भी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कोयला आधारित उद्योगों को चलाने पर कुछ शर्तें लगाई गई हैं। इन उद्योगों को सप्ताह में सिर्फ 5 दिन तथा 8 ही घंटे चलाने के आदेश हैं। शनिवार और रविवार को इन्हें पूरी तरह बंद रखना होगा। इन आदेशों से नाराज उद्यमियों ने दो दिन पहले सोनीपत में बैठक की थी।
रेवाड़ी आरसीसीआई से अध्यक्ष एसएन शर्मा व महासचिव अनुराधा भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब प्रतिदिन के हिसाब से नॉर्म्स जांचें जाते हैं, तो फिर उद्योगों को बंद किया जाना गलत है। जो नॉर्म्स पूरे करते हैं, उन्हें तो चलने की अनुमति दी जाए। इंडस्ट्री बंद होने से रोजगार और मार्केट प्रभावित हो गए हैं।