Fake-death certificate case of MD: मानव रचना शिक्षण संस्थान के एमडी डा. प्रशांत भल्ला का कैसा बनाया फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र, जानिए पूरा क्या था मामला

गुरुग्राम: सुनील चौहान। जिंदा व्यक्ति को मृत दिखा बीमा क्लेम से मिलने वाली 10 करोड़ रुपये की राशि हड़पने के लिए जालसाजों ने फर्जी मृत्यु-प्रमाण पत्र बनाया था। पुलिस की अब तक की जांच में पता चला है कि मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम या स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं जारी हुआ। स्वास्थ्य विभाग के रजिस्ट्रार की यूजर आइडी को हैक कर फर्जी तरीके से बनाया गया था। जालसाजी में कई लोग हो सकते हैं।

किसी कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालक की भूमिका हो सकती है। इससे पहले भी चार लोगों के नाम पर फर्जी मृत्यु प्रमाण बनाने की बात सामने आई थी, लेकिन पुलिस को शिकायत नहीं दी गई। मामले की तह तक जाने के लिए क्राइम ब्रांच सेक्टर 40 व पालम विहार तथा साइबर सेल की टीम लगी हुई है।

सेक्टर-29 थाना पुलिस ने मानव रचना शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष डा. प्रशांत भल्ला की पत्नी दीपिका भल्ला की शिकायत पर 22 जून को अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था। डा. भल्ला के नाम से पीएनबी मेटलाइफ बीमा कंपनी में 10 करोड़ की पालिसी है। इस बीमा राशि को हड़पने के लिए डा. भल्ला का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार किया गया। बीमा की राशि हड़पने के लिए नामिनी डा. प्रशांत भल्ला की पत्नी दीपिका के नाम से पालम विहार स्थित एचडीएफसी बैंक की शाखा में फर्जी खाता भी खुलवा लिया गया था।
इस पूरे मामले की जांच का पर्दाफाश उस समय हुआ जब बीमा कंपनी के सर्वेयर डा. प्रशांत भल्ला के साउथ सिटी वन स्थित निवास पर पुष्टि करने पहुंचे। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण सेक्टर-29 थाना पुलिस से बृहस्पतिवार को मामले की फाइल अपराध शाखा को सौंप दी गई है। बैंक प्रबंधन को दिया नोटिस बैंक से सीसीटीवी फुटेज हासिल करने के लिए अपराध शाखा ने बैंक को नोटिस भेज दिया है। जांच का विषय यह भी है कि खाता खोलते समय दिए गए आवेदक की तहकीकात (केवाईसी) क्यों नहीं की गई, जबकि यह नियम है। दीपिका खाता खुलवाने बैंक गई नहीं तो खाता कैसे खोल दिया गया?

क्यूआर कोड स्कैन करते पता चल जाता फर्जीवाड़ा: मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए रजिस्ट्रार की यूजर आइडी हैक कर नाम बदले गए हैं। क्यूआर कोड केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी किया जाता है। आइडी हैक करने के बाद उसमें नाम बदल दिया जाए तो प्रिंट निकालने के बाद कागज पर बदला हुआ नाम दिखता है मगर क्यूआर कोड में फेरबदल नहीं किया जा सकता है। क्यूआर कोड स्कैन करने पर जिसके नाम पर मृत्यु या जन्म प्रमाण पत्र जारी होता है, उसी की पूरी डिटेल दिखती है।

बीमा कंपनी की ओर से क्यूआर कोड स्कैन किया जाता तो पहले ही फर्जीवाड़ा पता चल जाता। सेक्टर-40 व पालम विहार क्राइम ब्रांच की टीम को जांच में लगाया गया है। सेक्टर-29 थाना से फाइल मंगा कर अपराध शाखा की टीम ने अपने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। जल्द ही जालसाजी करने वाले पकड़े जाएंगे। प्रीतपाल ¨सह, एसीपी (अपराध), गुरुग्राम