हरियाणा: सुनील चौहान। ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए इनेलो ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इनेलो की तरफ से अभय सिंह चौटाला इस मैदान में उतरेंगे। सिरसा के चौपटा गांव में हुई इनेलो की रैली में इस बात की घोषणा कर दी गई। वहीं अभय चौटाला के मैदान में आ जाने से भाजपा-कांग्रेस के लिए भी इस सीट पर जीत के लिए संघर्ष कठिन हो गया है। हालांकि किसी भी पार्टी का रूझान कम नहीं है। अब देखना यह है कि ऐलनाबाद सीट से लगातार 3 बार विधायक बनते आ रहे अभय चौटाला के सामने अपनी पार्टी की इस परंपरागत सीट को बचाए पाएंगे या नहीं
इस बारे में शनिवार को अभय चौटाला ने कहा था कि इनेलो चुनाव में उतरेगी या नहीं और अगर उतरेगी तो उनकी तरफ से प्रत्याशी कौन होगा इस बारे में पंचायत में फैसला किया जाएगा। इसी कड़ी में रविवार को चौपटा गांव में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की मौजूदगी में अभय चौटाला के नाम पर प्रत्याशी के तौर पर मुहर लगा दी गई।
किसानों के कहने पर अपने पद से इस्तीफा दिया थाः चौटाला
नाम घोषित होने के बाद अभय चौटाला ने कहा कि उन्होंने किसानों के कहने पर ही अपने पद से इस्तीफा दिया था और आज पंचायत के कहने पर वह दोबारा से चुनाव में उतरने के लिए तैयार हैं। अभय चौटाला ने कहा कि तीन नए कृषि कानूनों के लिए कांग्रेस और भाजपा संयुक्त रूप से दोषी हैं।
इनेलो के लिए करो या मरो की स्थिति, भाजपा-कांग्रेस के सामने भी कड़ी चुनौती
प्रदेश में कई सालों तक सत्ता पर काबिज रही इनेलो पार्टी के पास फिलहाल एक भी सीट नहीं है। 2019 की इकलौती सीट ऐलनाबाद से भी उनकी पार्टी के इकलौते विधायक अभय चौटाला कृषि कानूनों के विरोध में पद से इस्तीफा दे दिया था। अब दोबारा से अभय चौटाला चुनाव मैदान में उतर गए हैं। अगर इस चुनाव का नतीजा इनेलो के आशाओं के अनुरूप नहीं आता, तो यह इनेलो के भविष्य पर ही सवाल खड़ा कर देगा। अभय चौटाला को हर हाल में इस सीट को जीतने के लिए संघर्ष करना होगा ताकि हाशिए पर जा चुकी अपनी पार्टी को फिर से खड़ा किया जा सके।
भाजपा-कांग्रेस के लिए कड़ा हुआ मुकाबला
वहीं इनेलो की तरफ से अभय चौटाला के मैदान में उतर जाने से भाजपा-कांग्रेस के लिए भी मुकाबला कड़ा हो गया है। ऐलनाबाद सीट इनेलो एवं ताऊ देवीलाल के परिवार की परंपरागत सीट रही है और खुद अभय चौटाला लगातार यहां से तीन चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि बीते दो चुनावों में बीजेपी के प्रत्याशी रहे पवन बैनिवाल ने अभय चौटाला को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन अब वह कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस सीट पर 1968 व 1991 में ही कांग्रेस जीत पाई थी, उसके बाद से कांग्रेस की स्थिति यहां पर ज्यादा अच्छी नहीं रही है। ऐलनाबाद सीट से खुद ओमप्रकाश चौटाला, उनके भाई प्रताप सिंह चौटाला यहां से विधायक चुने जा चुके हैं।
अभय चौटाला ने गांव के पंच पद से शुरू की थी राजनीतिक पारी
अभय चौटाला ने अपने गांव चौटाला में पंचायत में पंच पद से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी। इसके बाद वह गांव में उपसरपंच, ब्लॉक समिति मेंबर व दो बार सिरसा जिला परिषद के चेयरमैन रह चुके हैं। 2000 में पहली बार रोड़ी विधानसभा से विधायक चुने गए थे, जो सीट ओम प्रकाश चौटाला द्वारा इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थी। इसके बाद अभय चौटाला ने 2004 में कुरूक्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नवीन जिंदल के सामने सांसद का चुनाव लड़ा था लेकिन जीत नहीं पाए थे। 2010 में ऐलनाबाद सीट से विधायक बनने के बाद लगातार यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस बार यह इनका चौथा चुनाव होगा।