धारूहेड़ा/रेवाड़ी: मसानी बैराज में भिवाड़ी के औद्योगिक अपशिष्ट जल को लाने की योजना का विरोध एक बार फिर तेज हो गया है। रेवाड़ी जिला प्रशासन की इस योजना को लेकर धारूहेड़ा व आसपास के ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। लोगों ने इस फैसले के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, सांसद राव इंद्रजीत सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री और रेवाड़ी के उपायुक्त को पत्र भेजकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
भेजे गए पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि भिवाड़ी एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां करीब 80 फीसदी इकाइयों में एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) तक नहीं है। वहां से निकलने वाला कच्चा व जहरीला पानी अगर साहबी नदी में छोड़ा गया, तो यह क्षेत्र के लिए किसी नरक से कम नहीं होगा। लोगों का कहना है कि यह निर्णय न केवल जनस्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि पहले से प्रदूषित साहबी नदी को और अधिक बर्बाद कर देगा।
इस मामले में पहले से ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में सुनवाई चल रही है, जिसमें रेवाड़ी जिले के एसटीपी और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित जल की जांच हो रही है। ऐसे में भिवाड़ी के प्रदूषित जल को मसानी बैराज में छोड़ने की योजना न केवल अवैधानिक है, बल्कि यह NGT की कार्यवाही की भी अवहेलना मानी जा रही है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि साहबी नदी और मसानी बैराज के जलभराव के कारण पहले ही दर्जनों गांवों की सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है और किसान भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह फैसला पूरी तरह जनविरोधी और पर्यावरण विरोधी है। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस योजना को रद्द नहीं किया गया, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया कि अब तक इस गंभीर समस्या को केवल कागजी बैठकों और खानापूर्ति तक सीमित रखा गया है, जबकि धरातल पर कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया। अब ग्रामीणों ने इस लड़ाई को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का संकल्प लिया है।

















