2015 में हुआ था प्रस्ताव, लेकिन आजतक नही चढी सिरे योजना HSIIDC Dharuhera
HSIIDC Dharuhera : करोडों रूप्ए का राजस्व देने वाला औद्योगिक कस्बे के उद्योगपति सुविधाओ के लिए भटक रहे है।
2015 में एचएसआइडीसी की ओर से प्रस्तावित एसटीपी 8 साल से कागजों में दफन हो गया है। सबसे अहम बात यह है कि बार बार उद्योगपतियो की शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई नहीं है।
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गोरतलब है औद्योगिक में अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व व छोटे बडे 112 उद्योग संचालित है। पिछले करीब तीन दशक से औद्योगिक कस्बे की स्थिति बदाहल बनी हुई थी। उद्योगपति की बार बार शिकायत पर 2015 में रेवाडी के विधायक ने एचएसआइडीसी से बैठक आयोजित उसके कार्यकाल में सुविधाओं को लेकर बीडा उठाया था।
विधायक रणधीर सिंह कापडीवास के प्रयास से एचआईडीसी की ओर से से सडक, सेफ्टी टेंक, स्ट्रीट लाईन, एसटीपी व डेनेज सुविधाओ के लिए 130 करोड का टैंडर हुआ था।
8 साल से एसटीपी बनाने की योजना कागजों में दफन-HSIIDC Dharuhera
ओद्योगिक कसबे में दूषित पानी का जलभराव गंभीर समस्या बनी हुइ है। बरसात के दिनो में सडको से निकलना दूभर हो जाता है। 2015 में औद्योगिक कस्बे में एचएसआईडीसी की ओर से करीब 9 एकड में एसटीपी बनाने की योजना तेयार की थी। उस समय औद्योगिक कस्बा एचएसवीपी के अधीन था। औद्योगिक कस्बे को एचएसआइडीसी के अधीन होने पर उम्मीद बंधी दी अब विकास कार्य हो सकेगेंं। लेकिन आठ साल पहले बनाई गई एसटीपी प्लाट की योजना आज तक कागजों में सिमटी हुई है।
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औद्योगिक कस्बे रात कां कंपनियों में जाते समय बडी परेशानी उठानी पडती है। अंधरे के चलते मैटिरियल की न तो डिलीवरी हो पाती है तथा नही कहीं दूसरी तक आपूर्ति पहुचं पाती है। सडकों पर जलभराव हो रहा है।
रणधीर सिंह ट्रांसपोटर
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..…सुविधाओं को लेकर धारूहेड़ा के उद्योगपति तरस रहे है। धारूहेडा में सडके तो बनी है लेकिन पानी ड्रेनेज का कार्य आज तक अधर में लटका हुआ है। ड्रेनेज नहीं होन से लोग परेशान है।
विकास, मैनेजर, निजी कंपनी
करीब एक दशक पहले हुडा से एचएसआईडीसी के अधीन औद्योगिक कस्बे को लिया गया था। उम्मीद थी कि अब सुविधाए मिल सकेगी, लेकिन अभी भी बुरा हाल है। कार्य केवल फाईलो तक बन रहे है।
सुभाष राणा, प्रबंधक लोग लाईफ कंपनी
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औद्योगिक कस्बे में करीब 9 एकड में एसटीपी बनाया जाएगा। कागज कार्रवाई हो चुकी है। अप्रूवल के लिए भेजा हुआ है। अनुमति मिलते ही टैंडर कर कर दिया जाएगा।
राजीव गोयल, मेनेजर, एचएसआईडीसी