कागजों में दम तोड रहा है NGT का आदेश, धडल्ले से छोडा जा रहा साहबी के दूषित पानी

MASANI BERAJ

5 एसटीपी साहबी बैराज में छोड़ रहे थे पानी, अब डीसी वसूलेंगे 3 करोड़ रुपये
NGT: दिल्ली जयपुर हाईवे पर मसानी बैराज में विकसित की गई कृत्रिम झील में छोडे जा रहे दूषित पानी को लेकर एनजीटी की फटकार केवल कागजों तक ही सीमट कर रही है। तीन माह पहले लगाया गया जुर्माना अभी तक जाम नहीं करवाया गया है।

बता दे साहबी बैराज में छोडे जा रहे गंदे पानी के कारण न केवल भूजल प्रदूषित हो रहा है, बल्कि पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। साहबी नदी के क्षेत्र में जमा हरे रंग के पानी से दुर्गंध आ रही है।

मर गई थी हजारों मछलियां: गंदे पानी के चलते ही साहबी बैराज में हजारों मछलियां मर गई थी। सबसे अहम बात यह है म​छलिया मरने के बावजूद इस पानी की सफाई नहीं करवाई गई। जिससे दुर्गध बढती ही जा रही है।

MASANI fish
बैराज में पहली बार 2017 में लगातार 66 दिन नहरी पानी से 20 हजार 274 फीट पानी मात्रा तक पूरा भरा गया था। 2018 में 68 दिन से लगातार बैराज को 24 हजार 42 फीट तक पानी से भरा गया था।

पूर्व सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि पर्यटकों के लिए इसे रमणीक स्थल बनाया जाएगा जिसमें रेस्टोरेंट व ठहरने के लिए हैट्स भी बनाए जाएंगे। बोटिंग के बाद फूड कोर्ट, एडवेंचर कैंप की गतिविधियां शुरू की जाएंगी। लेकिन ये सब केवल गंदे पानी के जोहड में बदलकर रह गई है।

जानिए किस कितना किया था जुर्माना
एसटीपी के नमूने फेल होने पर सभी एसटीपी पर जुर्माना लगाया गया था।

दूषित पानी छोडने को लेकर 6.5 एमएलडी कालूवास रोड स्थित एसटीपी पर 56.20 लाख रुपये, 16 एमएलडी नसियाजी रोड स्थित एसटीपी पर 64.60 लाख रुपये, खरखड़ा गांव (धारूहेड़ा) के एसटीपी पर 65.10 लाख रुपये और 3 एमएलडी खेड़ा मुरार रोड (बावल) के लिए एसटीपी पर 63.70 लाख रुपये का पर्यावरण जुर्माना लगाया गया था।

जानिए क्या है योजना
बांध की कुल 1648 एकड़ जमीन
1648 एकड़ जमीन है मसानी बैराज क्षेत्र में है। जो कि सिंचाई विभाग के अधीन रही है।
500 एकड़ में बांध फैला हुआ है।
1148 एकड़ बाकी जमीन खाली है।
1148 में से 500 एकड़ जमीन वन विभाग को प्रतिपूर्ति पौधरोपण के लिए दी जा चुकी है।
648 एकड़ शेष जमीन के ज्यादातर हिस्से में नेचर पार्क प्रस्तावित किया

करीब 400 एकड में भरा गंदा पानी... दिनभर उठती दुर्गंध...
करीब 400 एकड में भरा गंदा पानी… दिनभर उठती दुर्गंध…

मई माह में लगाया था जुर्माना

अप्रैल 2023 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) कोर्ट के सख्त आदेश पर जिला प्रशासन की ओर से एडीसी के नेतृत्व में 5 सदस्यीय कमेटी जांच के लिए आसपास के ट्यूबवेलों के पानी के नमूने लेने पहुंची थी। नमूनें के चलते पानी गंदा मिला था। इसी के चलते एनजीटी के आदेश पर मई 2024 में पोलूशन विभाग ने करीब 3 करोड रूपए जुर्माना लगाया था।