Haryana news: गुरमीत राम रहीम ने क्यों की ये अपील?
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Haryana news: हरियाणा के रोहतक जिले स्थित सुनारिया जेल में रेप के आरोप में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को मंगलवार को पैरोल मिली है। इस पैरोल के बाद उन्होंने अपने अनुयायियों से एक अपील की है। राम रहीम ने कहा है कि वह सिरसा धाम में उपस्थित हैं लेकिन अपने अनुयायियों से यह अनुरोध किया है कि वे सिरसा धाम न आएं।
गुरमीत राम रहीम का बयान
गुरमीत राम रहीम ने पैरोल मिलने के बाद एक बयान जारी कर अपने अनुयायियों से कहा, “परमात्मा की कृपा से मैं आपके दर्शनों के लिए फिर से आपकी सेवा में आया हूं और इस बार सिरसा धाम में आया हूं। मेरी सभी अनुयायियों से प्रार्थना है कि आप लोग सिरसा धाम में न आएं। अपनी-अपनी जगह पर रहकर ही हमें दर्शन दें। जैसे भी सेवादार आपको कहेंगे, उस पर ही अमल करना है।”
इस बयान से यह साफ हो गया कि गुरमीत राम रहीम ने अपने अनुयायियों से कोई रैली, सभा या बड़े आयोजनों में भाग लेने की अपील नहीं की है। वे चाहते हैं कि उनका कोई भी अनुयायी इस समय सिरसा धाम में न आए और वे घर पर ही अपने रास्तों का पालन करें।
राम रहीम को मिली 30 दिनों की पैरोल
राम रहीम को इस बार 30 दिनों की पैरोल मिली है। यह पैरोल उनके जेल में रहते हुए 12वीं बार दी गई है। उनका यह पैरोल अगली बार 30 दिनों की अवधि के लिए 2017 में मिली थी। इससे पहले भी उन्हें कई बार पैरोल मिल चुकी है, और अब यह नया समय उनके अनुयायियों के लिए एक और महत्वपूर्ण पल हो सकता है।
राम रहीम की सजा और पैरोल के बार-बार मिलने के कारण
गुरमीत राम रहीम सिंह को 2017 में दो शिष्याओं से रेप करने के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। इस सजा के बाद से राम रहीम का यह मामला राजनीति और मीडिया के बीच एक बड़ा मुद्दा बन चुका था। उनके अनुयायी उनकी सजा का विरोध करते रहे हैं, और राज्य सरकारें भी इस दौरान अलग-अलग निर्णय लेती रही हैं।
पिछली बार, अक्टूबर 2020 में राम रहीम को 20 दिनों की पैरोल दी गई थी। उस समय उन्होंने अपनी पिता की पुण्यतिथि के मौके पर पैरोल मांगी थी। 5 अक्टूबर को राम रहीम ने अपने पिता के पुण्यतिथि दिवस के तौर पर मनाने का हवाला देते हुए इस पैरोल की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार किया था।
राम रहीम के पैरोल मिलने पर राजनीतिक संदर्भ
राम रहीम की पैरोल को लेकर कई राजनीतिक बयान और समीक्षाएं सामने आईं हैं। विशेषकर उनकी पैरोल के बाद हरियाणा और पंजाब में यह मामला चर्चा का विषय बन गया था। राम रहीम के लाखों अनुयायी हैं, जो उनके किसी भी फैसले का समर्थन करते हैं। उनके अनुयायियों की एक बड़ी संख्या राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे राज्य के चुनावी परिणामों में भी प्रभाव पड़ने का अंदेशा जताया जाता है।
राम रहीम का दावा है कि उनका राजनीतिक परिदृश्य में भी बड़ा प्रभाव है, और वह अपने अनुयायियों को अपनी इच्छानुसार प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें राज्य की सरकारों द्वारा कई बार पैरोल दी गई।
राम रहीम और उनके डेरे का राजनीतिक प्रभाव
गुरमीत राम रहीम सिंह को हमेशा अपने अनुयायियों के वोटों को प्रभावित करने की ताकत रही है। 2000 के दशक से लेकर अब तक, राम रहीम सिंह का प्रभाव पंजाब और हरियाणा की राजनीति में देखा जाता है। पहले राम रहीम के समर्थन से कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने लाभ उठाया था।
उनके डेरे से जुड़ी राजनीतिक बयानबाजी और फैसलों का असर चुनावी परिणामों पर पड़ता है, जिससे हरियाणा और पंजाब की राजनीति में राम रहीम का प्रभाव खुलकर नजर आता है।
राम रहीम को मिली सजा: एक लंबा संघर्ष
राम रहीम सिंह को 2017 में दो शिष्याओं के साथ रेप करने के लिए 20 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद उन्हें कुछ समय के लिए जेल से बाहर पैरोल मिलती रही। इसके अलावा, 2019 में उन्हें और उनके तीन अन्य सहयोगियों को पत्रकार की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी।
राम रहीम का यह मामला अदालतों में लगातार चलता रहा और उनके साथ जुड़ी कई कानूनी प्रक्रियाएं हैं। सजा के बावजूद उन्हें कई बार पैरोल मिलती रही, जिसे लेकर विभिन्न राजनीतिक और कानूनी पक्षों से प्रतिक्रिया आती रही है।
गुरमीत राम रहीम को मिली पैरोल के बाद उनका यह बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने अपने अनुयायियों से सिरसा धाम में न आने की अपील की है। इस बयान के माध्यम से राम रहीम ने अपनी अनुयायी जनता से संयम बरतने और उनके निर्देशों का पालन करने की अपील की है। उनके मामले में जटिलताओं के बावजूद, हरियाणा और पंजाब में राम रहीम का प्रभाव राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना हुआ है।
राम रहीम की पैरोल और उनके अनुयायियों का समर्थन यह साबित करता है कि उनके खिलाफ चल रहे मामलों के बावजूद उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का स्तर अभी भी बहुत ऊंचा है।