हरियाणा: विकास एवं पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली ने बताया प्रदेश सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की गाइडलाइंस लागू कर दी है, जिसके तहत एंड टू एंड सॉल्यूशन अनिवार्य होगा।
इसके साथ ही गांवों में सफाई व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली कंपनी को गांव की छोटी सरकार से NOC लेनी होगी, जिसके बाद ही फर्म को भुगतान राशि जारी की जाएगी।Haryana News: चिराग योजना में दाखिले का शेड्यूल जारी, जानिए कैसे मिलेगा दाखिला
हरियाणा सरकार ने गांवों में भी शहरों की तर्ज पर सफाई व्यवस्था चकाचक करने का फैसला लिया है। हरियाणा की गठबंधन सरकार में पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली ने बताया कि नौ सुत्रीय कार्यक्रम के तहत शहरों की तर्ज पर गांवों का विकास करवाया जाएगा।
इसके अलावा शहरों की तर्ज पर ही गांवों में भी क्लस्टर बनाकर कूड़ा प्रबंधन का कार्य किया जाएगा. उन्होंने सभी नवनिर्वाचित सरपंचों से अपील करते हुए कहा कि हर सप्ताह गांव में साफ- सफाई को लेकर ग्रामीणों के साथ श्रमदान करें.
गांव में बनेंगे मैरिज पैलेस
विकास एवं पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली ने बताया कि आने वाले दो सालों में गांवों में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा और गांवों में भी शहरों की तरह आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।
सभी गांवों में ई- लाइब्रेरी खोली जाएगी ताकि ग्रामीण आंचल के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। इसके अलावा, गांव के पुराने पंचायत भवन या फिर समाज द्वारा तैयार की गई इमारतों का सौंदर्यीकरण कर मैरिज पैलेस की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
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गांवो में लगेगे CCTV कैमरे: पंचायत मंत्री ने बताया कि गांवों में सरकारी और सार्वजनिक स्थानों पर सोलर सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, गांवों के प्रमुख रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए भी ग्रामीण योजना तैयार की जाएगी। इन कैमरों को शहरों से कनेक्ट किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इससे गांवों में होने वाली अपराधिक घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगेगा. गांवों में फिरनियों को पक्का किया जाएगा और प्रत्येक गांव में स्वच्छ जल आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. सभी गांवों में परिवहन व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
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ई- टेंडर से होंगे विकास कार्य
उन्होंने बताया कि पंचायत कार्यों में होने वाले भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। पंचायत मंत्री ने कहा कि हरियाणा देश का पहला राज्य है जहां पढ़ी- लिखी और युवा पंचायतें चुनकर आई है। 70 से 80 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों की औसत आयु 45 से 50 आयु वर्ग है।
ऐसे में अब विकास कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष फोकस रहेगा और सभी गांवों में एक-एक निगरानी कमेटी बनाकर E-टेंडरिंग के माध्यम से विकास कार्य करवाए जाएंगे।