Haryana सरकार ने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखने वाले श्री माता भिमेश्वरी देवी मंदिर (बेरी) को एक सुदृढ़ संस्थागत प्रशासनिक ढांचे के तहत लाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, कानून और विधायी विभाग की सचिव रितु गर्ग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की। अधिसूचना के अनुसार, भिमेश्वरी देवी मंदिर और इसकी सभी चल और अचल संपत्तियां अब आधिकारिक रूप से गठित श्राइन बोर्ड के अधीन होंगी। इस बोर्ड का उद्देश्य मंदिर की आय, दान, धार्मिक गतिविधियों, पुजारियों की नियुक्ति, नियमों का पालन और तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का प्रबंधन करना होगा।
पुजारियों के पारंपरिक अधिकार और नए प्रावधान
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि पुजारियों के पारंपरिक अधिकार अब समाप्त कर दिए जाएंगे। उन्हें बोर्ड में समायोजन या मुआवजे का विकल्प दिया गया है। मंदिर की सभी दुकानें, दान पेटियां, जमीन, भवन और आभूषण अब श्राइन फंड में शामिल होंगे। बोर्ड वार्षिक बजट तैयार करेगा और मंदिर प्रबंधन का संपूर्ण ऑडिट अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, वर्तमान में मंदिर पर लागू अन्य कानून अब इस अधिनियम के अधीन नहीं रहेंगे। यह प्रशासनिक ढांचा मंदिरों के पारंपरिक अधिकार और आधुनिक प्रबंधन को संतुलित करने की दिशा में पहला कदम है।
श्राइन बोर्ड की संरचना और जिम्मेदारियां
भिमेश्वरी देवी मंदिर का श्राइन बोर्ड, पंचकुला के माता मानस देवी श्राइन बोर्ड और गुरुग्राम के श्री शीतला माता श्राइन बोर्ड के समान बनाया जाएगा। नए बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे, जबकि शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल उपाध्यक्ष और झज्जर के उपायुक्त सदस्य सचिव होंगे। इसके अलावा, सरकार बोर्ड में सरकारी और गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति करेगी। बोर्ड के अधिकारों में मंदिर की भूमि, दुकानों का किराया, भवन, दान, आभूषण, पूजा सामग्री और धार्मिक आयोजनों से होने वाली आय शामिल होगी, जो केवल मंदिर, धार्मिक गतिविधियों और भक्तों की सुविधाओं के लिए खर्च की जाएगी।
धार्मिक पर्यटन और भक्तों के लिए सुविधाओं में सुधार
भिमेश्वरी देवी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत प्राचीन है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पांडवों के शक्ति रूप भीम ने यहां देवी की स्थापना की थी, जिससे इसका नाम भिमेश्वरी देवी पड़ा। सदियों से लाखों श्रद्धालु नवरात्रि और विशेष अवसरों पर मंदिर दर्शन के लिए आते रहे हैं। आधुनिक प्रशासनिक ढांचे के लागू होने के बाद, धार्मिक पर्यटन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में वृद्धि की उम्मीद है। श्राइन बोर्ड पुजारियों के लिए सुरक्षा प्रावधान और मुआवजा ट्रिब्यूनल का भी गठन करेगा। योग्य पुजारियों को चयन प्रक्रिया के बाद बोर्ड में नौकरी का अवसर दिया जाएगा, जिससे पारंपरिक अधिकार और आधुनिक प्रशासन का संतुलन स्थापित होगा।
















