हरियाणा: नारनौल जेल रिश्वतकांड में फंसे फिदेडी कोविड जेल के जेलर अनिल कुमार अग्रिम जमानत के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस पंकज जैन ने अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार तक स्थगित कर दी है। अनिल कुमार पर रिश्वत के खेल में शामिल होने के आरोप हैं। विजिलेंस की टीम 20 से ज्यादा दिनों से आरोपी अनिल कुमार और डिप्टी जेलर कुलदीप हुड्डा की तलाश कर रही है। कई जगह छापामारी करने के बाद भी दोनों विजिलेंस के हत्थे नहीं चढ़ पाए हैं। मामले में जेल के दो वॉर्डन को विजिलेंस मौके पर ही दबोच चुकी है।
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क्या था मामला: नारनौल जेल का अतिरिक्त चार्ज संभालने वाले रेवाड़ी जेल सुपरिंटेंडेंट अनिल कुमार व नारनौल जेल के डिप्टी जेलर कुलदीप हुड्डा पर रिश्वत लेने का आरोप है। 15 दिसंबर को गुरुग्राम विजिलेंस की टीम ने अनिल कुमार के रेवाड़ी जेल स्थित सरकारी घर पर रेड की थी, लेकिन अनिल कुमार फरार हो गया था। जेल रिश्वत कांड में 9 दिसंबर को पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गैंगस्टर के गुर्गे के जरिए मंगवाई रिश्वत:
रिश्वत की एक लाख रुपए की रकम हरियाणा-राजस्थान के नामी गैंगस्टर विक्रम उर्फ पपला गुर्जर के खास गुर्गे संदीप उर्फ सिंधिया के भाई हंसराज से ली गई थी। एक लाख की नकदी के साथ जेल वॉर्डन राजन विजिलेंस के हत्थे चढ़ा था। पूछताछ में जेल वार्डन गजे सिंह का नाम सामने आया तो विजिलेंस टीम ने गजे सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया। विजिलेंस टीम ने पीसी एक्ट के तहत दर्ज की गई एफआईआर में जेल वार्डन राजन और गजे सिंह के अलावा नारनौल जेल के डिप्टी सुपरिटेंडेंट कुलदीप हुड्डा को नामजद किया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, उसमें जिला जेल अधीक्षक अनिल कुमार का नाम भी जुड़ गया। उसी आधार पर विजिलेंस टीम ने 15 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे रेवाड़ी स्थित जेल सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार के घर पर रेड की थी। रेड फेल होने पर तत्कालीन विजिलेंस इंस्पेक्टर अजीत सिंह सस्पेंड हो चुके हैं।
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दोनों के दो बार जारी हो चुके गिरफ्तारी वारंट:
नारनौल और रेवाड़ी दोनों जेल में अपराधियों से पैसा लेने का खेल काफी पुराना चल रहा है, जिसकी जानकारी विजिलेंस ब्यूरो को काफी पहले मिल गई थी। इसी जानकारी के आधार पर कार्रवाई करते हुए 9 दिसंबर को विजिलेंस गुरुग्राम यूनिट ने नारनौल जेल में रेड की थी। उस वक्त जेल वार्डन राजन को एक लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। जेलर और डिप्टी जेलर का नाम सामने आने के बाद विजिलेंस ने कई जगह रेड की, लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके बाद दोनों के कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी कराए गए। दो बार विजिलेंस गिरफ्तारी वारंट जारी कराकर दोनों अधिकारियों को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस चस्पा कर चुकी है। लेकिन दोनों ही विजिलेंस के सामने पेश नहीं हुए।