डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को रणजीत सिंह हत्याकांड में अब 18 अक्टूबर को सजा सुनाई जा सकती है। मंगलवार 12 अक्टूबर को पंचकूला में CBI कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। रोहतक की सुनारिया जेल में बंद राम रहीम सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट से जुड़ा। केस के अन्य चारों दोषी कृष्ण लाल, अवतार, सबदिल और जसबीर कोर्ट में हाजिर रहे। जज सुशील गर्ग के सामने पेशी के दौरान सिर पर सफेद टोपी पहने राम रहीम की दाढ़ी काले रंग में रंगी थी। पेशी के दौरान राम रहीम कुछ कमजोर नजर आया।
CBI की विशेष कोर्ट से बाहर निकले सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि मंगलवार को राम रहीम ने अदालत में पंजाबी भाषा में आठ पेज का बयान भेजा। कोर्ट में अंग्रेजी में अनुवाद करने के बाद इस बयान पर राम रहीम के साइन करवाए गए। वर्मा के अनुसार, सीबीआई ने अपनी बहस पूरी कर ली है। दोषियों के वकीलों ने सीबीआई की ओर से दी गई दलीलों को पढ़ने के लिए समय मांगा जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि 18 अक्टूबर को बाकी बहस पूरी हो जाएगी और उसी दिन फैसला भी आ सकता है।
डेरा प्रमुख ने अपनी बीमारियों का हवाला दिया
सीबीआई अदालत से बाहर निकले रणजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य गवाह और डेरा प्रमुख के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह ने कहा कि मंगलवार को पूरी सुनवाई के दौरान डेरा प्रमुख कैमरे के समक्ष कुर्सी पर मुंह नीचे करके बैठा रहा। उसके चेहरे पर शिकन साफ दिख रही थी। खट्टा सिंह के अनुसार, राम रहीम ने अदालत में खुद द्वारा समाज की भलाई के लिए चलाए जा रहे कामों की दुहाई दी। उसने अदालत को अपनी बीमारियों का हवाला भी दिया।
2017 की घटना को देखते हुए सख्ती
हरियाणा पुलिस ने मंगलवार सुबह ही एहतियात बरतते हुए पंचकूला में सुबह से ही शहर में धारा-144 लागू कर दी। पुलिस को आशंका थी कि राम रहीम समेत पांचों दोषियों को सजा होने की सूरत में जान-माल का नुकसान या किसी तरह का तनाव हो सकता है इसलिए शहर में 5 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर पाबंदी लगा दी गई। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के साथ लगते सेक्टर 1,2,5,6 और नेशनल हाईवे पर किसी भी व्यक्ति के किसी भी तरह का धारदार हथियार लेकर घूमने पर पूर्ण पाबंदी रही। दरअसल राम रहीम को 27 अगस्त 2017 को पंचकूला की सीबीआई अदालत ने दो साध्वियों के यौन शोषण मामले में सजा सुनाई थी। तब पंचकूला में जमा डेरे के हजारों श्रद्धालुओं ने जमकर बवाल किया। 30 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। उसी घटना से सबक लेते हुए पुलिस ने मंगलवार सुबह से ही शहर में धारा-144 लगा दी।
ये है रणजीत सिंह हत्याकांड
10 जुलाई 2002 को सच्चा सौदा डेरे की मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। डेरे के ही कुछ अनुयायियों के अनुसार, डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने ही साध्वी यौन शोषण मामले में अपनी बहन से गुमनाम चिट्ठी लिखवाई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के पिता ने जनवरी 2003 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने बेटे की हत्या की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया। सीबीआई ने मामले में डेरामुखी राम रहीम समेत 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। 2007 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए और 8 अक्टूबर 2021 को उन्हें दोषी करार दे दिया।
तीन लोगों की गवाही रही अहम
रणजीत सिंह हत्याकांड में 3 लोगों की गवाही महत्वपूर्ण रही। इनमें से 2 चश्मदीद गवाहों सुखदेव सिंह और जोगिंद्र सिंह ने अदालत को बताया कि उन्होंने आरोपियों को रणजीत सिंह पर गोली चलाते देखा। तीसरा गवाह डेरामुखी का ड्राइवर खट्टा सिंह रहा। खट्टा सिंह के अनुसार, उसके सामने ही रणजीत सिंह को मारने की साजिश रची गई। खट्टा सिंह ने अपने बयान में कहा कि डेरामुखी राम रहीम ने उसके सामने ही रणजीत सिंह को मारने के लिए बोला। केस की शुरुआती सुनवाई के समय खट्टा सिंह अदालत में इस बयान से मुकर गया था, मगर कई साल बाद वह फिर कोर्ट में पेश हुआ और गवाही दी। उसकी गवाही के आधार पर ही पांचों को दोषी ठहराया गया।
रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में डेरामुखी को हो चुकी उम्रकैद
डेरे में साध्वियों के यौन शोषण से जुड़े केस में जो लैटर लिखे गए, उन्हीं के आधार पर सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में खबरें प्रकाशित की। इन खबरों के बाद रामचंद्र छत्रपति पर पहले दबाव बनाया गया। जब वह धमकियों के आगे नहीं झुके तो 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा में रामचंद्र छत्रपति के घर के बाहर उन्हें गोली मार दी गई। 28 दिन बाद, 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति ने दम तोड़ दिया। शुरुआत में इस केस में डेरामुखी राम रहीम का नाम नहीं था। 2003 में हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद 2006 में डेरामुखी के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के आधार पर डेरामुखी का नाम इस हत्याकांड में शामिल किया गया।
इस केस में डेरामुखी को मुख्य आरोपी बनाया गया। गोली कुलदीप ने मारी और निर्मल सिंह उसके साथ था। जिस रिवॉल्वर से रामचंद्र छत्रपति को गोलियां मारी गई, उसका लाइसेंस डेरे के मैनेजर किशनलाल के नाम पर था। 11 जनवरी 2018 को कोर्ट ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में डेरामुखी राम रहीम, कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और किशन लाल को दोषी करार दिया। कोर्ट ने राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का दोषी माना। उसके बाद चारों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। अदालत ने सभी दोषियों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
यौन शोषण मामले में काट रहा 20 साल की सजा
डेरे की दो साध्वियों के यौन शोषण मामले में 28 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई। तब पंचकूला में सीबीआई कोर्ट द्वारा डेरामुखी को दोषी ठहराए जाने के बाद पंजाब-हरियाणा और राजस्थान समेत 5 राज्यों में डेरे के अनुयायी हिंसा पर उतर आए, जिसमें 31 लाेग मारे गए और 250 से ज्यादा घायल हुए। दिल्ली में ट्रेन के दो खाली डिब्बे जला दिए गए। पंचकूला में जमे डेरे के डेढ़ लाख अनुयायी 3 घंटे तक हिंसा करते रहे।
पंचकूला के अलावा पंजाब के पटियाला, फाजिल्का, फिरोजपुर, मानसा और बठिंडा में कर्फ्यू लगाना पड़ा। यूपी के लोनी में भी हिंसा हुई। इस हिंसा से नाराज पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नुकसान की भरपाई के लिए डेरे की संपत्ति जब्त करने को कहा। उस केस में जब जज जगदीप सिंह ने डेरामुखी को दोषी ठहराया तो वह रो पड़ा। उसे पंचकूला से हेलिकॉप्टर के जरिये सीधे रोहतक की सुनारिया जेल ले जाया गया। तब से डेरामुखी रोहतक जेल में ही बंद है।