Chairman Brij Mohan Lala : हीरो मोटो ग्रुप के चेयरमैन बृज मोहनल लाला किसी परिचय के मोहताज नहीं है। 1923 में अविभाजित भारत के कमालिया गांव में जन्मे लाला ने एक नया इतिहास हासिल किया है। Hero Motocorp
हीरो मोटो कोर्प धारूहेड़ा में जन्म दिवस पर रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा । उनकी यादगार में हर साल एक जुलाई को रक्तदान शिविर लगाया जाता है। बता दें कपंनी में आयोजित शिविर में हर साल रक्तदान करने वालों की संख्या बढती जा रही हैं।
Chairman Brij Mohan Lala का जीवन: बता दे कि इनका जन्म 1923 में अविभाजित भारत के कमालिया में हुआ जो कि वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब के जिला टोबा टेक सिंह में स्थित है। मुंजाल 20 साल की उम्र में 1944 में अपने तीन भाइयों—दयानंद, सत्यानंद और ओमप्रकाश के साथ पाकिस्तान के कमालिया से अमृतसर आए और उन्होंने साइकिल के कलपुर्जों का कारोबार शुरू किया।Hero Motocorp

Chairman Brij Mohan Lala व्यापारी एवं उद्योगपति: बाद में वह लुधियाना चले गए, जहां वह अपने तीन भाइयों के साथ साइकिलों के पार्ट्स बेचने लगे। 1954 में उन्होंने हीरो साइकिल्स लिमिटेड की स्थापना की तथा पार्ट्स बेचने की बजाए साइकिलों के हैंडल, फोर्क वगैरह बनाना शुरू किया।

1956 में पंजाब सरकार ने साइकिलें बनाने का लाइसेंस जारी किया। यह लाइसेंस उनकी कंपनी को मिला और यहां से उनकी दुनिया बदल गई। सरकार से 6 लाख रुपये की वित्तीय मदद और अपनी पूंजी के साथ हीरो साइकिल्स को ‘बड़े स्तर की इकाई’ का दर्जा दिलवाते हुए साइकिल निर्माण में कदम रखा।Hero Motocorp
कैसे हुई हीरो साइकिल्स की शुरुआत?
हीरो साइकिल्स की शुरुआत करीब 75 साल पहले बृजमोहन लाल मुंजाल ने अपने तीन भाईयों के साथ पाकिस्तान से भारत के अमृतसर आकर की थी। शुरुआत में वे साइकिल स्पेयर पार्ट्स का कारोबार करते थे, लेकिन विभाजन के कारण हुए दंगों के कारण वे लुधियाना में शिफ्ट हो गए।

उस समय कंपनी की सालाना उत्पादन क्षमता 7,500 साइकिलों की थी। 1975 तक यह भारत की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी बन चुकी थी और 1986 में हीरो साइकिल का नाम गिनीज़ बुक में दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी के रूप में दर्ज किया गया।
दोपहिया वाहन में स्थापित किया कीर्तिमान
1984 में उन्होंने जापान की बड़ी ऑटो कंपनी होंडा से करार किया और यहीं से उनकी दुनिया ने फिर करवट बदली। हीरो साइकिल की सफालता के बाद मुंजाल ने तेजी से पेट्रोल वाहनों की तरह बढ़ रहे लोगों के रुझान को भाप लिया था। इसी के लिए उन्होंने एक दोपहिया वाहन कंपनी की स्थापान की थी, जिसका नाम हीरो मैजेस्टिक था। कंपनी उस समय मोपेड आदि बनाती थी, लेकिन 1984 में जापानी कंपनी होंडा मोटर्स के साथ हुई साझेदारी ने इसको पूरी तरह से बदल दिया।
1985 में कंपनी की पहली बाइक हीरो होंडा CD100 लॉन्च हुई, जिसे काफी सफलता मिली। फिर इसके बाद 1994 में लॉन्च हुई हीरो होंडा स्प्लेंडर ने कंपनी को अग्रणी दोपहिया वाहन कंपनी बना दिया।Hero Motocorp
उन्होंने होंडा के साथ मिलकर हरियाणा के धारूहेड़ा में प्लांट लगाया। 13 अप्रैल 1985 में हीरो-होंडा की पहली बाइक सीडी 100 बाजार में आई। हीरो समूह ने इतनी प्रगति की कि २००२ तक ८६ लाख हीरो होंडा मोटरसाइकिल बिक चुके थे और प्रतिदिन १६००० मोटसाइकिलों का उत्पादन किया जा रहा था।
Hero Motocorp का उदय
26 साल लंबी हीरो होंडा के बीच पार्टनरशिप खत्म होने के बाद हीरो मोटोकॉर्प का उदय हुआ। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंजाल ने नहीं चाहते थे कि दोनों कंपनियों के बीच इतनी लंबी साझेदारी खत्म हो, लेकिन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अन्य कारणों के चलते ये समाप्त हो गई। इस समय मुंजाल करीब 87 साल के थे और कंपनी की हर टॉप मैनेजमेंट की मीटिंग में वे शामिल हुए थे।

संयुक्त उपक्रम से अलग होने के पश्चात हीरो समूह को एसे देशों में भी निर्यात करने का अवसर मिल गया जहाँ होंडा का कारोबार पहले से ही था तथा संयुक्त उपक्रम के नाते हीरो-होंडा को वहाँ माल बेचने की अनुमति नहीं थी।Hero Motocorp
इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक हीरो मोटोकॉर्प को संभाला और 2015 के मध्य में अपने बेटे पवन मुंजाल को हीरो ग्रुप की कमान सौंप दी। एक नंवबर 2015 को बीमारी के कारण 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
व्यक्तिगत जीवन: बृजमोहन का विवाह संतोष से हुआ था तथा इनके चार पुत्र व एक पुत्री हैं- रमन काँत (दिवंगत), सुमन काँत, पवन काँत, सुनील काँत तथा पुत्री गीता आनन्द। Chairman Brij Mohan Lala
Chairman Brij Mohan Lala जानिए इनकी उपलब्ध्यिां
- Awarded Businessman of the Year in 1994 by business magazine Business India
- Received the National Award for outstanding contribution to the Development of Indian Small Scale Industry in 1995
- In 1999 Featured in Most Admired CEO List of the magazine Business Barons
- Received the Distinguished Entrepreneurship Award from the PHD Chamber of Commerce and Industry in 1997.
- Xavier Labour Relations Institute (XLRI) conferred Sir Jehangir Ghandy Medal for Industrial Peace in 2000
- Featured as Ernst & Young Entrepreneur of the year in 2001

- Received the Lifetime Achievement award for Management from the All India Management Association in 2003
- Banaras Hindu University, Varanasi conferred him with a doctorate; degree of Doctors of Letters honoris causa in October 2004.
- Awarded the Padma Bhushan in March 2005 for his contribution to trade and industry in 2005[८]
- Lifetime Achievement Award by TERI in 2011
- Lifetime Achievement Award by Ernst & Young in 2011.[९]
- Lifetime Contribution Award by All India Management Association in 2011
- Doctor of Science (Honoris Causa) by IIT, Kharagpur in 2011
- Lifetime Achievement for the Asia Pacific Entrepreneurship in 2011
Awards by Enterprise Asia in 2011

















