स्वरोजगार: कृषि विज्ञान केन्द्र बावल में खुंबी उत्पादन तकनीक पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन

रेवाड़ी: सुनील चौहान। चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बी आर काम्बोज के आह्वान पर फसल विविधीकरण के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र बावल में मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर अनुसूचित जाति व जनजाति के उत्थान व स्वरोजगार के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा. धर्मबीर यादव ने किया। मुख्य अतिथि डॉ अजय सिंह यादव कुलसचिव महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया। कृषि विज्ञान केन्द्र बावल के वरिष्ठ सयोंजक डॉ जोगिंदर सिंह यादव ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र समय-समय पर युवाओं के लिए स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहता है। उन्होंने बताया कि खुम्बी उत्पादन का काम भूमिहिन् युवा भी कर सकते है। इसके लिए जमीन की जरुरत नहीं है। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी जिले में मशरूम की खेती अब लोकप्रिय हो रही है व इसके लिए बाजार भी उपलब्ध है। मशरूम में उच्च गुणवता का प्रोटीन होता है, व स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। प्रशिक्षण संयोजक डॉ नरेन्द्र कुमार यादव ने मशरूम उत्पादन तकनीक की विस्तृत से जानकारी दी। उन्होंने कम्पोस्ट बनाने की विधि व केसिंग मिश्रण की मात्रा के बारे में बताया। उन्होंने मशरूम के जैविक और अजैविक प्रकारो के बारे में जानकारी दी। डॉ बलबीर सिंह ने मशरूम में लगने वाले कीड़ों और उनके प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ अजय सिंह यादव ने प्रतिभागीयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का जीवन में विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि छोटी विधि से बनाया गया कंपोस्ट ज्यादा मशरूम उत्पादन देता है। डॉ अजय सिंह यादव ने बताया कि मशरूम में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं। मशरूम विटामिन डी का भी एक बहुत अच्छा माध्यम है। मशरूम में बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जिससे वह वजन और ब्लड शुगर लेवल नहीं बढ़ाता। मशरूम में मौजूद तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। डॉ अजय यादव ने कहा कि रेवाड़ी जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आता है और इसमें मशरूम उत्पादन की बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि मशरूम उत्पादकों के लिए यहां बाजार भी उपलब्ध ह,ै और इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। मशरूम की खेती कृषि विज्ञान केंद्र के प्रयासों से रेवाड़ी जिले में लोकप्रिय हो रही है। कई बड़ी मशरूम इकाइयां इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, और मशरूम उत्पादक इससे अच्छा लाभ कमा रहे हैं।