गुस्साए किसानो ने किया हंगामा: MSP पर खरीदारी नहीं होने को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन

रेवाडी: सुनील चौहान। हरियाणा में धान के बाद बाजरे की खरीद नहीं होने को लेकर किसाना परेशान है। गुस्साए किसानो ने बुधवार को प्रशासन के खिलाफ जमकर हमांगा कर दिया है। दक्षिणी हरियाणा में बाजरे की खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार खरीद सरकार द्वारा नहीं की जा रही। सरकार ने भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 रुपए देने की बात की है। लेकिन बाजरे की खरीद सरकारी स्तर पर एमएसपी पर कराने की मांग को लेकर बुधवार को रेवाड़ी के कोसली में किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया।

दक्षिणी हरियाणा उत्थान मंच व किसान सेवा संगठन के संयुक्त बैनर तले एकत्रित हुए किसानों ने सांकेतिक धरना भी दिया। उसके बाद किसान भवन से नारेबाजी करते हुए किसान कोसली के मिनी सचिवालय पहुंचे, जहां उन्होंने एमएसपी पर बाजरे की खरीद को लेकर प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।इस मौके पर किसान वक्ताओं ने प्रशासन विरोध खूब नारेबाजी की।

एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए।
एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए।

किसान वक्ताओं का कहना है कि दक्षिण हरियाणा के साथ हमेशा से भेदभाव होता आ रहा है। जिसकी मार किसानों पर पड़ने लगी है। पहले तो प्रकृति की मार से किसानों की बाजरे की फसल खराब हो गई, अब सरकार ने बाजरे की खरीद से इंकार कर दिया हैं। सरकार भावांतर भरपाई योजना के नाम पर सरकार किसानों को ठगने का काम कर रही।

सरकार दक्षिणी हरियाणा के लोगों को कमजोर न समझे। दक्षिण हरियाणा की बदौलत सरकार सत्ता में है। किसानों ने सरकार व प्रशासन को दो दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर अगले दो दिन के अंदर सरकार एमएसपी पर हमारा बाजरा नहीं खरीदती है तो हम आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे और तहसील के बाहर धरना देंगे। इसके साथ ही नेताओं का बहिष्कार भी किया जाएगा।

एक दिन पहले सीएम से की थी मुलाकात

दरअसल, दक्षिणी हरियाणा में इस सीजन में बाजरे की फसल होती है। सरकार ने बाजरे की सरकारी खरीद न करके इसे भावांतर भरपाई योजना में शामिल करके 600 रुपए प्रति क्विंटल देने की बात की थी। लेकिन इससे इलाके के किसानों में रोष है। एक दिन पहले ही चंडीगढ़ में दक्षिणी हरियाणा के 5 विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात कर भावांतर भरपाई योजना की राशि बढ़ाने की मांग थी। बाजरे का एमएसपी 2250 रुपए है। इसके पीछे तर्क दिया था कि बाजरा 1200 रुपए क्विंटल बिक रहा है। जबकि सरकार कुल 600 रुपए देगी, इससे इलाके के किसानों को प्रति क्विंटल 450 रुपए का घाटा होगा।