हरि की भूमि हरियाणा से छह बार संसद पहुंचने वाले पहले राजनेता
लगातार पांच जीत का रिकॉर्ड भी बनाया, रामपुरा हाउस पर जशन
जाटूसाना से चंडीगढ़ वाया महेंद्रगढ़-गुड़गांव होकर पहुंचे दिल्ली
Haryana : गुड़गांव लोकसभा की सियासी पिच पर 2009 से नॉट आउट चल रहे राव इंद्रजीत सिंह ने जीत का सिक्सर मार दिया। राव इंद्रजीत सिंह हरि की भूमि हरियाणा में ऐसे पहले राजनेता बन गए हैं जो छह बार संसद में पहुंचे हैं।
सम ओर विषम दोनों परिस्थितियों में राव इंद्रजीत ने अपने सियासी अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर कांग्रेस के साथ पूरे विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया। गुड़गांव के मतदाताओं ने एक फिर से उन्हें ही अपना सियासी सिरमौर बनाया है। राव इंद्रजीत ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं।
गुड़गांव लोकसभा में सबसे अधिक 60.34 फीसदी वोट शेयर लेने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है। इस लिहाज से आजादी के बाद हुए अब तक के चुनाव में राव इंद्रजीत ने सबसे ज्यादा वोट लेने का रिकॉर्ड साल 2019 के चुनाव में ही बनाया था। गुड़गांव लोकसभा से जीत की हैट्रिक लगाने वाले भी राव इंद्रजीत सिंह पहले राजनेता है।
जाटूसाना से चंडीगढ़ वाया महेंद्रगढ़-गुड़गांव होकर पहुंचे दिल्ली
राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी सियासी पारी का आगाज साल 1977 में जाटूसाना विधानसभा (अब कोसली) से किया था। उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह की परंपरागत सीट रही जाटूसाना में बड़े राव ने अपने ज्येष्ट पुत्र राव इंद्रजीत सिंह को यहां से अपना राजनीतिक वारिस बनाकर चुनाव मैदान में उतारा। यहां की जनता ने बड़े राव के फैसले पर अपनी मुहर लगाते हुए पहले ही चुनाव में राव इंद्रजीत की सियासत में दमदार एंट्री कराई।
1977 में चंडीगढ़ पहुंचने के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और यहां से लगातार चार बार 1977 से 1982, 1982 से 1987 और 1987 से 1991 और फिर 2000 से 2004 तक Haryana विधान सभा के सदस्य के तौर पर Chandigarh पहंचे।
1986 से 1987 तक उन्हें हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना खाद्य और नागरिक आपूर्ति की जिम्मेदारी मिली। 1991 से 1996 तक वह प्रदेश सरकार में Cabinet minister रहे। उन्होंने पर्यावरण एवं वन तथा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले।
1998 से शुरू हुआ संसद का सफर
Mahendergarh Lok sabha पर एकछत्र राज कर रहे उनके पिता राव बिरेंद्र सिंह ने 1998 में उन्हें अपनी जगह लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। राव पहले ही चुनाव में जीत हासिल कर संसद की चौखट पर पहुंच गए और देश की 12वीं लोकसभा के सदस्य बने। यहां से उनका देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने का सिलसिला आरंभ हुआ।
हालांकि अगले ही चुनाव यानी साल 1999 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा लेकिन अगले चुनाव यानी साल 2004 के चुनाव में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदियों से अपनी हार का बदला चुकता कर लिया। 1998 से 99 तक राव संसद विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर्यावरण और वन संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे।
2004 में वह फिर महेंद्रगढ़ से 14 vi Loka sabhaके लिए निर्वाचित हुए। मई 2004 में उन्हें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री बनाया गया। 2006 तक वह इस जिम्मेदारी को निभाते रहे। फरवरी 2006 से 2009 तक राव केंद्रीय रक्षा उत्पादन राज्य मंत्री रहे।
परिसीमन के बाद संभाली गुड़गांव की सियासत
साल 2008 में हुए परिसीमन में Gurugram को फिर से लोकसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में लाया गया। 1971 के चुनाव के बाद इसे महेंद्रगढ़ में मर्ज कर दिया गया था और इसके बड़े हिस्से फरीदाबाद को अलग लोकसभा क्षेत्र बना दिया गया था। परिसीमन के बाद 2009 पंद्रहवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ और क्षेत्र बदलने के बाद भी राव ने जीत हासिल की।
यह संसद सदस्य के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल था। 31 अगस्त 2009 को उन्हें संसद की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति का सभापति बनाया गया। मई 2014 में उन्होंने गुड़गांव से सोलहवीं Lok sabha का चुनाव लड़ा और लगातार इस क्षेत्र से दूसरी तथा सांसद के रूप में तीसरी जीत हासिल की। 27 मई 2014 से 9 नवम्बर 2014 तक वह केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) योजना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन एवं योजना बनाए गए।
मई 2019 में उन्होंने गुड़गांव से जीत की हैट्रिक लगाते हुए सत्रहवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित सदस्य के रूप में संसद में प्रवेश किया। बतौर सांसद उनका पांचवा कार्यकाल रहा। जून 2019 से लेकर संसद भंग होने तक वह केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), योजना, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन बने रहे।
साल 2024 में उन्होने नया रिकॉर्ड कायम करते भाजपा की टिकट पर न केवल जीत की हैट्रिक लगाई है, बल्कि कांग्रेस को लगातार तीन चुनावों से हार का स्वाद भी चखाया है। राव इंद्रजीत सिंह ने यह साबित कर दिया वह गुड़गांव की जनता के दिलों पर राज करने वाले अकेले राजनेता है।