निजीकरण के ख़िलाफ़ में काली पट्टी बांधकर मनाया काला दिवस
Haryana: ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन (AIPEF ) के आह्वान पर उत्तर प्रदेश ,चंडीगढ़ और राजस्थान में निजीकरण के खिलाफ आज हरियाणा पावर इंजीनियर एसोसिएशन (HPEA) के बैनर नीचे विद्युत नगर हिसार में गेट मीटिंग की और उत्तर प्रदेश ,चंडीगढ़ और राजस्थान के कर्मचारियो और अधिकारियों के समर्थन में निजीकरण के ख़िलाफ़ काली पट्टी बाँध कर काला दिवस मनाया गया ।
इस मीटिंग की अध्यक्षता हरियाणा पावर इंजीनियर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव रविंद्र घनघस ने की । इस मीटिंग में हरियाणा पावर इंजीनियर संगठन के वरिष्ठ उप प्रधान बलजीत बेनीवाल उप प्रधान सुदीप बामल व एग्जीक्यूटिव मेंबर राहुल महला, सुमित कुमार के साथ साथ सुरेंद्र रेड्डू, रविंद्र सिंह, प्रदीप ढुल, होशियार सिंह, आशीष मोदी, वीरेंद्र राणा, पंकज शर्मा, संदीप कुमार, सनी यादव, साहिल गर्ग , हेमंत जिंदल आदि लगभग 100 इंजीनियर्स इंजीनियर्स ने भाग लिया ।
हरियाणा पावर इंजीनियरिंग एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव रविंद्र घनघस ने बताया कि चंडीगढ़ राजस्थान और उत्तर प्रदेश बिजली विभागों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है जिसकी वजह से आने वाले समय में आम उपभोक्ता , किसान और कमर्शियल इंडस्ट्रियल टैरिफ निजी कंपनियां अपने मनमर्जी से बढ़ाएंगी जैसे की जितने भी राजमार्ग जो की प्राइवेट कंपनियों के अधीन है वह भी अपनी मनमर्जी से टोल टैक्स को बढ़ते रहते हैं।
जिस पर आम जनता पर इसका बोझ बढ़ता है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ की लगभग 2000 करोड़ की सरकारी संपत्ति उन प्राइवेट कंपनियों को एक रुपए की लीज पर दी जा रही है, इसके बावजूद कि चंडीगढ़ बिजली विभाग मुनाफ़ा में चल रहा है और वहां के स्थानीय निवासियों को बहुत ही कम लागत पर बिजली मुहिया करा रहा है।
इसी तरह राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लाखों करोड़ों की सरकारी संपत्ति एक रुपए की लीज पर प्राइवेट कंपनियों के हवाले की जा रही है, जिसके कारण वहां के कर्मचारी और अधिकारी सरकार के खिलाफ काफी दिनों से आंदोलन छेड़े हुए हैं।
हरियाणा इंजीनियर पावर एसोसिएशन के वरिष्ठ प्रधान बलजीत बेनीवाल ने बताया कि इस तरह के निजीकरण के कारण उत्तर प्रदेश में लगभग 55,000 कर्मचारियों की नौकरी दाव पर लगी है साथ ही साथ निजीकरण के कारण से आने वाले टाइम में अनुसूचित जातियों और बैकवर्ड जातियों के बच्चों का आरक्षण भी खत्म हो जाएगा।
इंजीनियर प्रदीप ढुल ने संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी ने इसी मजबूती के साथ चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों इस निजीकरण के विरोध में उनके संघर्ष का साथ देना चाहिए और आने वाले टाइम में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ एम्पलाइज और इंजीनियर्स जिसके अधीन पूरे देश के कर्मचारी और अधिकारी संगठित हैं।
महल कॉल पर इसी तरह एक जुट होकर उनके आंदोलन को मजबूती देनी है, नहीं तो आने वाले टाइम में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व हरियाणा के बिजली विभागों का भी निजी करण ज्यादा दूर नहीं है।
इस मीटिंग को सुरेंद्र रेड्डू, रविंद्र कुमार, होशियार जाखड़, आशीष मोदी आदि इंजीनियर ने भी संबोधित किया।