राजस्थान: प्रदेश सरकार लगातार कर्ज के दलदल में डूबती जा रही है। पिछले साल भर में सरकार 55 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। इसी के साथ यह आंकड़ा 4 लाख 34 हजार करोड़ को पार कर चुका है। पिछले साल सितंबर तक 3 लाख 79 हजार करोड़ कर्ज था। सरकार के आर्थिक हालात पर जारी छह माह की समीक्षा रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। कर्ज का बोझ जल्द ही 4.80 लाख करोड़ पार कर सकता है। सरकार की इनकम और खर्च में भारी अंतर है। कर्ज बढ़ने की मुख्य वजह यही है। छह महीने में सभी सोर्स से मिलाकर राज्य सरकार को 73,890 करोड़ रुपए की इनकम हुई, जबकि 1 लाख 2345 करोड़ का खर्च हुआ है। अप्रैल से लेकर सितंबर तक के छह महीने में सरकार को केंद्र सरकार से 15966 करोड़ रुपए केंद्र से ग्रांट के तौर पर मिले हैं। राज्य के खुद के टैक्स रेवेन्यू से 33598 करोड़ रुपए की आय हुई है।
कर्मचारियों के वेतन-भत्तों, पेंशन में ही छह माह में 39 हजार करोड़ खर्च
छह महीने में सरकार ने 1 लाख 2 हजार करोड़ का खर्च किया है। इसमें से लगभग आधा खर्च तो कर्मचारियों के वेतन-भत्तों और कर्ज पर ब्याज में ही जा रहा है। अप्रैल से सितंबर तक इन पर 50 हजार करोड़ खर्च हुए हैं। सरकार ने छह माह में वेतन भत्तों पर 27,744 करोड़, पेंशन पर 11331 करोड़ और कर्ज पर ब्याज चुकाने में 11,049 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
कर्ज बढ़ने का कारण कोरोना भी:
रिपोर्ट में कर्ज बढ़ने और सरकार की आय और खर्च में ज्यादा अंतर के पीछे कोरोना की दूसरी लहर को भी एक बड़ा कारण बताया गया है। कोरोना की दो लहर के कारण सरकार की आय प्रभावित हुई।
छह महीने में 31 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव:
रिपोर्ट के मुताबिक, छह माह में 31,447 करोड़ के निवेश के 32 प्रस्ताव मिले। पिछले साल इस अवधि में केवल 8807 करोड़ के निवेश प्रस्ताव ही मिले थे। अप्रैल से सितंबर के बीच 1.23 लाख माइक्रो, स्माॅल एंड मीडियम यूनिट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ। इससे छह लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला।