Punjab and Haryana High Court: हरियाणा सरकार ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने और उसकी सफाई को तेज़ करने के लिए अभियान की रफ्तार बढ़ा दी है। इस उद्देश्य से मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तार से समीक्षा की गई। बैठक में विशेष रूप से गंदे पानी के उपचार, औद्योगिक इकाइयों में पर्यावरण मानकों के अनुपालन और सीवरेज ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि यमुना में 11 प्रमुख नालों से प्रतिदिन लगभग 1511.55 MLD गंदा पानी बहता है, जिसमें से लगभग 1000 MLD पानी का उपचार करना पहले ही संभव हो चुका है। सरकार का लक्ष्य इस क्षमता को और बढ़ाकर यमुना में बहने वाले प्रदूषण को न्यूनतम स्तर तक लाना है।
बैठक में हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया कि सभी नालों के पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार के प्रदूषण स्तर को समय रहते नियंत्रित किया जा सके। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि प्रत्येक प्रमुख नाले के लिए अलग-अलग समितियाँ बनाई जाएँगी, जिनमें संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होंगे और इन समितियों की अध्यक्षता डिविजनल कमिश्नर करेंगे। ये समितियाँ हर 10 दिन में बैठक कर अपने-अपने नालों में प्रदूषण नियंत्रण की प्रगति रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को सौंपेंगी। यमुना कैचमेंट एरिया में सीवरेज ट्रीटमेंट की क्षमता में हाल के वर्षों में भारी बढ़ोतरी की गई है। वर्तमान में राज्य में कुल 1518 MLD क्षमता वाले 90 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा, 107 MLD क्षमता वाले चार नए प्लांट निर्माणाधीन हैं, जो मार्च 2027 तक पूरा होने की संभावना है।
औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण प्रगति
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के प्रबंधन में भी राज्य ने उल्लेखनीय सुधार किए हैं। हरियाणा में 184.5 MLD क्षमता वाले 17 कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETPs) संचालित हैं। प्रदूषण नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए दो CETPs को अपग्रेड किया जा रहा है और 146 MLD क्षमता वाले आठ नए CETPs का प्रस्ताव रखा गया है। राज्य के अधिकांश बड़े औद्योगिक संस्थानों ने या तो इन CETPs से कनेक्शन ले लिया है या अपनी स्वयं की एफ्लुएंट ट्रीटमेंट यूनिट स्थापित कर ली है, जिससे पर्यावरण मानकों का पालन सुनिश्चित हो रहा है। ड्रेन-वाइज एक्शन प्लान के अनुसार धनोरा एस्केप, ड्रेन नंबर 2, ड्रेन नंबर 6, मुंगेशपुर ड्रेन, KCB ड्रेन, ड्रेन नंबर 8, लेग-1, लेग-2, लेग-3, बुधिया नाला और गांछी ड्रेन सहित सभी प्रमुख नालों पर कार्य तेज़ी से प्रगति पर है।
सरकार ने बताया कि बड़ी मात्रा में सीवर टैपिंग की जा रही है, ताकि बिना उपचारित पानी यमुना में न बह सके। साथ ही नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के निर्माण से आने वाले वर्षों में नदी पर प्रदूषण का बोझ काफी कम होने की उम्मीद है। यमुनानगर में 77 MLD, रोहतक में 60 MLD तथा गुरुग्राम में प्रस्तावित 100 MLD की क्षमता वाले नए प्लांट इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, रोहतक, फरीदाबाद और गुरुग्राम के प्रमुख एसटीपी को अपग्रेड करने का कार्य भी तेज़ गति से चल रहा है। सरकार का दावा है कि मौजूदा प्रयासों, बेहतर प्रबंधन और नई तकनीकों के उपयोग से आने वाले समय में यमुना नदी की स्वच्छता और गुणवत्ता में ठोस सुधार देखने को मिलेगा।

















