Navratri 1 : चैत्र नवरात्र के पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा, जानें इनकी पूजा का धार्मिक महत्व
Navratri Puja 2023: 15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इन नौ दिनों में देवी मां के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में जन्म लेने कारण देवी शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं।Rewari Police को मिली बडी सफलता: कंपनी कर्मी पर फायरिंग करने वाले तीन घंटे में काबू
मां शैलपुत्री कौन हैं ?
नवरात्र के 9 दिन भक्ति और साधना के लिए बहुत पवित्र माने गए हैं। इसके पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। हिमालय पर्वतों का राजा है। मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा, सती, हेमवती, उमा के नाम से भी जाना जाता है। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी पशु-पक्षियों, जीव की रक्षक मानी जाती हैं। नवरात्रि पूजन में पहले दिन इन्हीं का पूजन होता है।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री श्वेत वस्त्र धारण कर वृषभ की सवारी करती हैं। देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं। मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति का प्रतीक माना जाता है।
मां शैलपुत्री का वाहन है वृषभ
मां शैलपुत्री का वास काशी नगरी वाराणसी में माना जाता है। यहां शैलपुत्री का एक बेहद प्राचीन मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि यहां मां शैलपुत्री के सिर्फ दर्शन करने से ही भक्तजनों की मुरादें पूरी हो जाती हैं। मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ है।Haryana: राजस्थान में JJP ने फूंका चुनावी बिगुल, दुष्यंत चौटाला कर रहे रोड शो, जानिए कहां से लडेगी चुनाव
मां शैलपुत्री की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया। लेकिन सती को आमंत्रित नहीं किया गया था। लेकिन सती बिना बुलाए ही यज्ञ में जाने को तैयार थीं।
भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि ऐसे बिना बुलाए जाना सही नहीं। लेकिन सती नहीं मानी. ऐसे में सती की जिद्द के आगे भगवान शिव ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। जिसे बाद में भगवान विष्णु ने चक्र से काटकर 51 भागों में विभक्त कर दिया था, जिसके टुकड़े जहां-जहां पर गिरे वे पावन शक्तिपीठ कहलाए. मान्यता है कि इसके बाद देवी सती ने ही शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में दोबारा जन्म लिया और शैलपुत्री कहलाईं.रेवाड़ी में डकैती के साथ किया था मर्डर, तीन साल बाद अब कोर्ट ने सुनाया ये फैसला ?
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पूजा में चढ़ाएं ये प्रसाद
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा में उन्हें हमेशा गाय के घी का भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने से साधक के जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां शैलपुत्री के आशीर्वाद से उसे जीवन में किसी भी प्रकार के रोग, शोक आदि का कोई भय नहीं रहता है.